देहरादून: यूँ तो उत्तराखंड विधानसभा में राज्य बनने के बाद अंतरिम विधानसभा गठन के साथ बैकडोर भर्तियों का गोलमाल खेल शिकार हो गया था। लेकिन कांग्रेस सरकार में स्पीकर बने गोविंद सिंह कुंजवाल और फिर भाजपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष बने प्रेमचंद अग्रवाल के दौर में तो ‘अपनों’ को खैरात में नौकरी बांटने के मामले में सारी हदें पार कर दी गई।
जाहिर है इस घटना से दोनों दलों की जमकर धू धू हो रही और अब भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व और खुद मुख्यमंत्री धामी चाह रहे कि सख्ती का संदेश दिया जाए। फिर मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण तो ठहरीं पूर्व मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूरी की बेटी जिनको करप्शन पर कड़क करार दिया जाता है।
फिर भला इस नाज़ुक मौके पर स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण क्यों न चाहेंगी कि कम से कम तदर्थवाद का सहारा लेकर अपनों पर अर्ज़ी माँग मर्ज़ी की नौकरी लुटाने वाले पूर्ववर्ती दो विधानसभा अध्यक्षों के चलते खोई विधानसभा जैसी संवैधानिक संस्था की गरिमा लौटाने के प्रयास से वे चुकें!
उम्मीद है अपनों की विधानसभा में बैकडोर भर्ती के पूरे प्रकरण पर पहली बार जब स्पीकर ऋतु खंडूरी सवा तीन बजे प्रेस वार्ता में बोलेंगी तो पूर्ववर्ती विधानसभा अध्यक्षों द्वारा किए गए ‘पाप’ को कुछ हद तक धोने की पहल करेंगी।