दीपक जोशी ने कहा कि शायद राजनीतिक पार्टियों को लगता है कि कर्मचारी कोई वोटबैंक नहीं लिहाजा उनकी जायज माँगों को लेकर सरकारें संजीदगी नहीे दिखाती हैं। शायद यही मानसिकता कर्मचारियों को आंदोलन और हड़ताल के रास्ते की तरह जाने को मजबूर कर रही है।
देहरादून: 2022 का विधानसभा चुनाव अब बमुश्किल से चार माह दूर है और राज्य के एक के बाद एक कर्मचारी संगठन आंदोलन की राह पकड़ रहे हैं तो सरकार और सक्षम अधिकारियों पर प्रदेश को हड़ताली प्रदेश बनाने का आरोप भा लगा रहे हैं। सचिवालय संघ तो अध्यक्ष और उत्तराखंड अधिकारी-कार्मिक शिक्षक महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष दीपक जोशी ने चुनावी समय में आक्रोशित कर्मचारियों की जायज माँगों को न मानने पर धामी सरकार को होने वाले संभावित चुनावी नुकसान को लेकर चेताया है।
कर्मचारी नेता दीपक जोशी ने आरोप लगाया कि अब कर्मचारियों का सब्र जवाब दे रहा है लेकिन सक्षम अधिकारी मजबूर कर रहे हैं कि हम हड़तालों का सहारा लेकर अपनी माँगें पूरी कराएँ। जोशी ने कहा कि अगर कर्मचारी अपनी जायज माँगों के लिए सड़कों पर उतरते हैं तो इसका ख़ामियाज़ा सरकार को भुगतना पड़ेगा। जोशी ने कहा कि कर्मचारी जानते हैं कि चंद माह बाद आचार संहिता लग जाएगी और फिर अपनी जायज माँगों के लिए चार-पांच साल का इंतजार करना पड़ेगा लिहाजा सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन जहां सरकार कुछ सकारात्मक कदम उठाना भी चाहती है सक्षम अधिकारी अडंगा लगाकर हड़ताल को मजबूर कर रहे।
कर्मचारी नेता जोशी ने कहा कि कार्मिकों के भीतर आक्रोश है और उनको बातचीत के लिए बुलाकर उनकी माँगों का निराकरण कर गुस्सा शांत कराया जा सकता है लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो स्वाभाविक है कि इसका प्रतिकूल असर चुनाव में देखने तो मिलेगा। दीपक जोशी ने कहा कि कर्मचारियों ने राज्य का निर्माण कराया और आज कार्मिकों को ही हाशिए पर फेंका जा रहा है जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जोशी ने कहा कि कर्मचारी कहीं गोल्डन कार्ड के लिए लड़ रहा तो कही पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष कर रहा और कहीं शिथिलीकरण नियमावली 2010 की गुहार लगा रहा है। उन्होंने कहा कि पदोन्नति से लेकर वेतन संबंधी तमाम विसंगतियाँ दूर करने की दरकार है।
दीपक जोशी ने कहा कि शायद राजनीतिक पार्टियों को लगता है कि कर्मचारी कोई वोटबैंक नहीं लिहाजा उनकी जायज माँगों को लेकर सरकारें संजीदगी नहीे दिखाती हैं। शायद यही मानसिकता कर्मचारियों को आंदोलन और हड़ताल के रास्ते की तरह जाने को मजबूर कर रही है।
दीपक जोशी ने कहा कि युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी को समझना होगा कि कर्मचारी उनके परिवार का हिस्सा हैं और अधिकारियों की फाइलों को टालने की प्रवृति पर मुख्यमंत्री को अंकुश लगाना होगा। जोशी ने कहा कि सीएम जल्द सभी कर्मचारी संगठनों को बुलाकर उनकी जायज माँगों पर मुहर लगवाएँ ताकि हड़ताल के चौतरफा बनते हालात टाले जा सकें और चुनाव में इस तबके के वोटों का नुकसान न उठाना पड़े।