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CoWin अनिवार्य रजिस्ट्रेशन पर मोदी सरकार को सुप्रीम फटकार: आप डिजिटल इंडिया, डिजिटल इंडिया रट लगाते रहते हैं पर डिजिटल डिवाइड के जमीनी सच से वाक़िफ़ नहीं!

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दिल्ली: कोरोना जंग में वैक्सीनेशन पर विपक्ष के आरोपों को नकारते आसमानी दावे करती मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जमीन दिखा दी। देश की शीर्ष अदालत ने CoWin पर जरूरी रजिस्ट्रेशन को लेकर केन्द्र सरकार को आईना दिखाते हुए कहा कि आप कहते रहते हैं कि स्थिति dynamic है लेकिन नीति नियंताओं को अपने आँख-कान धरातल पर गड़ाए रखने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप डिजिटल इंडिया, डिजिटल इंडिया कहते रहते हैं लेकिन कभी ग्रामीण क्षेत्रों की हकीकत समझी है! शीर्ष अदालत ने पूछा कि बताइये कैसे झारखंड का अशिक्षित मजदूर राजस्थान में कैसे पंजीकृत हो पाएगा? सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि आप बताइये कि इस डिजिटल डिवाइड को कैसे पाटा जाएगा? अदालत ने कहा कि हालात ते मद्देनज़र पॉलिसी को बदला जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ये अगर उन्हें करना होता तो 15-20 दिन पहले नीति में बदलाव कर चुके होते।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस इस रविन्द्र भी की स्पेशल बेंच ने कोरोना पर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान CoWin अनिवार्य रजिस्ट्रेशन को लेकर सरकार से तीखे सवाल किए।

सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन खरीद नीति को लेकर भी मोदी सरकार से कई तीखे सवाल पूछे हैं। केन्द्र सरकार ने जब वैक्सीन नीति और वैक्सीनेशन के रास्ते की बाधाएँ गिनाई तो अदालत ने इस पर भी सवाल किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि 45 प्लस आयुवर्ग के लिए केन्द्र सरकार खुराक ख़रीदेगी, लेकिन 18-44 आयुवर्ग के लिए 50 फीसदी राज्य सीधे दवा निर्माता से ले सकेंगे और 50 फीसदी प्राइवेट अस्पतालों को मिलेगी, इस व्यवस्था के पीछे वास्तविक आधार क्या है?
कोर्ट ने से भी पूछा कि दिल्ली और पंजाब जैसे राज्य ग्लोबल टेंडर के जरिये खुराक खरीदने की प्रक्रिया में हैं, यहाँ तक कि मुंबई की बीएमसी जैसी म्यूनिसिपल कारपोरेशन भी बिडिंग के रास्ते दवा खरीद रही।

कोर्ट ने पूछा कि क्या से केन्द्र सरकार की नीति है कि राज्य या म्यूनिसिपल कारपोरेशन भी खुद दवा खरीद सकती हैं या केन्द्र सरकार नोडल एजेंसी के तौर पर खुराक दिलाएगी? अदालत ने कहा कि वे इस नीति को लेकर स्पष्टता और तर्क समझना चाहती है। देश की शीर्ष अदालत ने यह सवाल भी पूछा कि केन्द्र के मुकाबले राज्यों को दवा के लिए अधिक दाम क्यों चुकाने पड़े भला? अदालत ने जवाब देने के लिए केन्द्र सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है।
सरकार ने अदालत को बताया कि इस साल के आखिर तक 18 प्लस के सभी लोगों को खुराक दे दी जाएगी। और केन्द्र सरकार की फ़ाइजर कंपनी से वार्ता सफल रही तो अभियान और तेज होगा। जबकि रविवार को खबर आई कि केन्द्र ने दवा खरीद कोटा बढ़ाते हुए जुलाई आखिर तक 20 से 25 करोड़ डोज ख़रीदेगा और अगस्त-सितंबर में 30 करोड़ डोज ख़रीद लक्ष्य रखा है।

ANI file photo: PM MODI
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