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ये तस्वीर देखकर आपका सीना हो जाएगा 56 इंच का! जानिए तालिबान ने क्यों ये तस्वीर शेयर कर पाकिस्तान को दिखाया आइना

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Taliban leader mocks Pakistan by sharing Indo Pak 1971 war surrender picture: कहने को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान को पालने पोसने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है लेकिन आजकल दोनों पड़ोसियों में जबरदस्त ठनी हुई है। पाकिस्तान आए दिन अफगानिस्तान को सैन्य कार्रवाई की धमकी देता रहता है लेकिन इस बार अफगान तालिबान सरकार ने करारा पलटवार कर दिया है।

पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) के पाकिस्तान में हमले रोकने की धमकी देते कहा कि हमले रुके नहीं तो घर में घुसकर एक्शन लेंगे। फिर क्या था अफगान तालिबान ने भी करारा जवाब दे दिया। अफगान तालिबान के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर अहमद यासिर ने Indo-Pak War 1971 के दौरान पाकिस्तानी सेना के भारतीय सेना के सामने सरेंडर करने की तस्वीर शेयर कर याद पलटवार किया कि इस तरह का अंजाम होगा याद रखना।

ज्ञात हो कि अफगानिस्तान में हमेशा से तालिबान का हिमायती बनता रहा पाकिस्तान अब तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकी हमलों से लहूलुहान है जिससे पाकिस्तान सरकार और सेना बौखलाई हुई है। यही वजह है कि आज पाकिस्तान सरकार और अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत के बीच रिश्ते सबसे तल्ख दौर में हैं। पिछले दो ढाई महीने से दोनों देशों की सीमा डूरंड लाइन पर एक के बाद एक फायरिंग की घटनाएं हुई हैं। फायरिंग में पाकिस्तान के 12 सैनिक और 7 सिविलियन मारे गए।

TTP इस्लामाबाद तक फिदायीन हमला कर रहा है। पाकिस्तान की शिकायत है कि TTP के आतंकी देश में धमाके कर अफगानिस्तान की सीमा में छिप जाते हैं। अब इसे लेकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान तालिबान हुकूमत में जुबानी जंग छिड़ी हुई है।

यही वजह है कि पाकिस्तान की धमकी के बाद भारतीय सेना से 1971 में मिली करारी हार और पाक लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी द्वारा 93 हजार सैनिकों के बावजूद भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने सरेंडर करने वाली फोटो शेयर कर बेइज्जत कर डाला है।

क्या आप जानते हैं 56 इंच का सीना कर देने वाली भारतीय सेना के शौर्य वो गाथा ?

अंग्रेज चले गए और जाते जाते पाकिस्तान नाम का नफरती बीज बो गए। अलग होते ही पाकिस्तान भारत के खिलाफ न केवल आतंक का जहर उगलता रहा बल्कि युद्ध छेड़कर शिकस्त खाता रहा। लेकिन पाकिस्तान सिर्फ भारत के खिलाफ ही नफरत की खेती नहीं कर रहा था, उसने अपने पूर्वी हिस्से में भी बंगाली भाषी अपने नागरिकों पर अत्याचार की इंतिहा कर रखी थी। पाकिस्तान के कत्ल ए आम के चलते करीब एक करोड़ बांग्लादेशी भारत में शरण लेते हैं।


पाक आर्मी के अत्याचार से मुक्ति के लिए पूर्वी पाकिस्तान आज के बांग्लादेश ने भारत से मदद मांगी। भारत ने शांति स्थापना के प्रयास किए लेकिन तीन दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी एयरफोर्स ने इंडियन एयरफोर्स के ठिकानों पर हमला बोल युद्ध छेड़ दिया। मजबूरन भारत को जवाब देना पड़ा और तेरह दिनों की लड़ाई के बाद 16 दिसंबर को पाकिस्तान आर्मी ने घुटने टेक दिए और 93 हजार सैनिकों के साथ पाक लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने शाम के 4:35 बजे भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया और भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर घुटने टेक देने की आधिकारिक घोषणा कर दी।

कहते हैं प्रथम और द्वितीय युद्ध के बाद का यह किसी देश की सबसे बड़ी सेना का आत्म समर्पण था। इस युद्ध के जरिए भारत ने दुनिया का नक्शा बदल दिया और एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। 1971 की यह साहसिक जंग भारत ने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में जीती जिसके बाद ही जनवरी 1973 में देश के राष्ट्रपति ने उन्हें फील्ड मार्शल बनाया था।

1971 की विजय गाथा भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस और शौर्य की अमिट कहानी है। भारतीय सेना की इस शौर्य गाथा को दुनिया के मिलिट्री सिलेबस का आवश्यक अध्याय माना जाता है और भारत की आने वाली पीढ़ियां इस शौर्य गाथा से प्रेरणा पाती रहेंगी। यह युद्ध और हार के बाद आत्म समर्पण को घटना पाकिस्तान के माथे पर शर्मनाक हार का यह ऐसा तमगा है जिसे अब अफगानिस्तान तालिबान हुकूमत ने उसे दिखाकर दुखती रग पर हाथ रख दिया है।

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