दिल्ली: भारत में रेसलिंग यानी पहलवानी का गौरवशाली इतिहास रहा है। पहलवानों का ज़िक्र आते ही सबके ज़ेहन में पहलवान दारा सिंह का ध्यान आता है। द ग्रेट गामा पहलवान भारत एक ऐसे पहलवान रहे जिन्होंने अपने जीवन में एक भी कुश्ती नहीं हारी। द ग्रेट गामा पहलवान ने दुनियाभर में भारत का नाम रोशन किया और आज गूगल ने गामा पहलवान के 144वें जन्मदिन पर उनका डूडल बनाकर याद किया। आइए आज जानते हैं गामा पहलवान के द ग्रेट गामा पहलवान बनने का सफर और शानदार कुश्ती करिअर के लिए उनकी चौंका देने वाली डाइट के बारे में भी जान लेते हैं।
भारत में समय-समय पर एक से बढ़कर एक पहलवान हुए लेकिन द ग्रेट गामा पहलवान जिन्हें रुस्तम ए हिन्द को नाम से भी जाना जाता था, उनकी टक्कर का पहलवान किसी ने देखा नहीं होगा। गामा पहलवान का असल नाम गुलाम मोहम्मद बख़्श बट था और बताते हैं कि उनका जन्म 22 मई 1878 में कपूरथला के जब्बोवाल गांव में हुआ था। हालाँकि कुछेक दावे हैं कि गामा पहलवान का जन्म दतिया, मध्यप्रदेश में हुआ था। खैर जन्मस्थान को लेकर जो भी दावे हों लेकिन गामा पहलवान दुनिया सबसे बड़े पहलवानों में शुमार करते हैं इस पर कोई मतभेद नहीं हैं।
गामा पहलवान को दारा सिंह से भी पहले ‘रुस्तम ए हिन्द’ ख़िताब से नवाज़ा जा चुका था। बताते हैं कि गामा पहलवान के पिता दतिया के महाराजा भवानी सिंह के दरबार में कुश्ती लड़ा करते थे। गामा के पिता का सपना था कि उनका बेटा बड़ा होकर उनसे भी बड़ा पहलवान बने लेकिन गामा के बाल्यकाल में ही उनके पिता का मौत हो गई। इसके बाद गुलाम मुहम्मद बक्श बट यानी गामा पहलवान के नाना नून पहलवान और मामा ईदा पहलवान ने गामा और उनके भाई को कुश्ती के गुर सिखाए।
गामा पहलवान की खुराक सुनकर ही विरोधी पहलवान के छूट जाते थे पसीने
गामा पहलवान की हाइट 5 फीट 7 इंच और वज़न 113 किलोग्राम था। लेकिन उनकी डाइट देखकर आपको होश फ़ाख्ता न हो जाएं तो कहिएगा। गामा पहलवान रोजाना 6 देसी मुर्ग़े खाते थे और 10 लीटर दूध और एक लीटर घी पी जाते थे। गामा पहलवान रोजाना 200 ग्राम बादाम भी दूध में मिलाकर पीते थे।
गामा पहलवान ने एक बार कुश्ती लड़ना शुरू किया तो वो देखते ही देखते बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाने लगे और जल्दी ही दतिया के महाराजा के दरबार में अपने पिता की जगह कुश्ती लड़ने लगे थे। कहते हैं गामा पहलवान 10-12 घंटे अभ्यास करते थे और 2 से 3 हजार दंड बैठक और 3000 पुशअप लगाते थे। गामा पहलवान 50 क़िलों से ज्यादा वज़न उठाकर 2 किलोमीटर तक दौड़ भी लगाते थे। ‘THE WRESTLER’S BODY: IDENTITY AND IDEOLOGY IN NORTH INDIA’ नामक किताब में जोसफ़ ऑल्टर ने गामा पहलवान की डाइट पर कई चौंकाने वाली ऐसी ही जानकारी साझा की हैं।
बताते हैं कि गामा पहलवान रोजाना अपने 40 साथियों के साथ कुश्ती किया करते थे। बड़ौदा संग्रहालय में एक 2.5 फीट क्यूबिकल पत्थर रखा हुआ है जिसका वज़न करीब 1200 किलोग्राम है। कहते हैं कि 23 दिसंबर 1902 को गामा पहलवान ने इस पत्थर को उठाकर दिखाया था।
1910 में गामा पहलवान अपने भाई इमाम बख़्श के साथ इंटरनेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में हिस्सा लेने इंग्लैंड गए। लेकिन हाइट कम (5 फीट 7 इंच) होने के चलते उनको मौका नहीं दिया गया। इसके बाद गामा पहलवान ने वहा तमाम पहलवानों को 30 मिनट में धूल चटाने की चुनौती दी जिसे किसी ने स्वीकर नहीं किया। गामा पहलवान ने पोलैंड के रहने वाले तत्कालीन वर्ल्ड चैंपियन रेसलर को इंग्लैंड में हराया। फिर वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप का इंडियन वर्जन और 1927 में वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप जीत कर दिखाई। 1947 में भारत के आजाद होने तक गामा पहलवान अपराजेय होकर खूब नाम कमा चुके थे। गामा पहलवान ने 50 से ज्यादा कुश्तियां लड़ी थी और उनको कोई भी हरा नहीं पाया।
हालाँकि भारत-पाकिस्तान बँटवारे के बाद वे अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए और बताते हैं कि बँटवारे के बाद हुई हिंसा में कई हिन्दू परिवारों को गामा पहलवान ने बचाया था। कहते हैं गामा पहलवान के आखिरी दिन बड़ी तंगी में गुजरे क्योंकि पाकिस्तान को हुक्मरानों ने दुनिया के इस महान पहलवान द ग्रेट गामा पहलवान का कोई खास ख्याल नहीं रखा। 1960 में 82 साल की उम्र में ‘रुस्तम ए हिन्द’ की मृत्यु हो गई। कहते हैं कि मार्शल आर्ट चैंपियन ब्रूस ली को भी गामा पहलवान ने चैलेंज किया था। ब्रूस ली द ग्रेट गामा से मिले तो उनसे सीखकर दंड बैठक को अपनी एक्सरसाइज में शामिल किया।