
Chardham Yatra News: चारधाम यात्रा तैयारियों के मोर्चे पर फेल रही उत्तराखंड की अफसरशाही और प्रशासन पर अब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निशाना साधा है। त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दो टूक आरोप लगाया है कि चारधाम यात्रा में दिखी अव्यवस्थाओं के लिए शासन-प्रशासन चुनाव का बहाना नहीं बना सकता है क्योंकि राज्य में चुनाव 19 अप्रैल को ही खत्म हो गए थे और यात्रा 10 मई को शुरू हुई है। त्रिवेन्द्र ने कहा कि यह अफसरों की अपनी नाकामी छिपाने के लिए की जा रही बेवकूफी है और ऐसी बातें प्रशासन के अफसरों को शोभा नहीं देती हैं। वैसे यह भी ठीक ही है कि सवाल खुद बीजेपी के वरिष्ठ नेता त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उठाए हैं वरना यह जुर्रत कोई पत्रकार कर बैठता तो क्या मालूम धार्मिक भावनाएं आहत करने का मुकदमा अब तक दर्ज हो चुका होता!
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दरअसल, यह शासन प्रशासन की वो गंभीर लापरवाही और गैर जिम्मेदार रवैया है जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि इतनी दूरदर्शिता की अपेक्षा तो उत्तराखंड के अफसरों से की ही जा सकती है कि जिस चारधाम यात्रा से लेकर मानसखंड मंदिर माला मिशन के ब्रांड एंबेसडर बनकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आह्वान कर रहे हों तब श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ना कोई रहस्य वाली बात नहीं थी। यह सभी बखूबी जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीते दस वर्षों में जिस तरह केदारनाथ और बदरीनाथ धाम या यूं कहिए कि उत्तराखंड में आध्यात्मिक टूरिज्म के ब्रांड एंबेसडर बनकर जो काम किया है,उसने राज्य के धार्मिक टूरिज्म को देश-दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई और श्रद्धालुओं का चारधाम यात्रा को लेकर दिख रहा जबरदस्त उत्साह इसकी तस्दीक भी कर रहा है। लेकिन उत्तराखंड का शासन-प्रशासन अवसर को आपदा में तब्दील न कर दे तो फिर भला उसकी पहचान ही क्या रहेगी। 10 मई को केदारनाथ धाम, यमुनोत्री धाम और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो गया था लेकिन पहले ही दिन यमुनोत्री धाम यात्रा मार्ग से श्रद्धालुओं के सैलाब की तस्वीरों ने धामी सरकार की आंखों के तारे अफसरों की यात्रा तैयारियों की पोल खोल कर रख दी और देश दुनिया में जहां तक भी ये भारी भीड़ के एक जगह फंस कर रह जाने की तस्वीरें पहुंचीं हरेक देखने वाले का कलेजा मुंह को आ गया। शुक्र है कि भारी भीड़ के यमुनोत्री धाम यात्रा मार्ग पर एक जगह फंस जाने के बावजूद कोई हादसा नहीं हुआ और अथाह कष्ट और यातना सहने के बावजूद श्रद्धालु जैसे तैसे जाम झेलते झेलते निकल आए।
उसके बाद केदारनाथ धाम रूट पर सोनप्रयाग से लगातार आ रही भारी भीड़ की तस्वीरें सिहरन पैदा कर रही हैं तो ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए हरिद्वार और ऋषिकेश में उमड़ती दिखी भीड़ भी इंतजाम की पोल खोल देने को काफी थी। लेकिन चारधाम यात्रा तैयारियों के मोर्चे पर भले शासन प्रशासन खुद फेल हो गया हो लेकिन हालात की ग्राउंड रिपोर्टिंग करते पत्रकारों को फेक न्यूज, अफवाह और भ्रामक खबरों तथा यात्रा को बदनाम कर धार्मिक भावनाएं आहत करने की धमकी के साथ मुकदमेबाजी की धमकियां दी जाने लगीं।
दैनिक भास्कर के पत्रकार मनमीत रावत पर तो बाकायदा मुकदमा ही दर्ज कर दिया गया। साफ है शासन और पुलिस प्रशासन ने “शूट द मैसेंजर” नीति के तहत मीडिया को ही टारगेट करना शुरू कर दिया ताकि न अव्यवस्थाओं की रिपोर्टिंग हो और न देश दुनिया को अफसरशाही की नाकामी के सबूत मिलें।
सवाल है कि क्या अब पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान के बाद शासन और पुलिस के आला अफसर बीजेपी के दिग्गज नेता पर भी चारधाम यात्रा तैयारियों के लिए शासन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने के लिए धार्मिक भावनाएं आहत करने का मुकदमा दर्ज करेंगे?
या फिर उनके बयान को विपक्षी दल का बयान करार देकर “सब चंगा सी” की बीन बजाना जारी रखेंगे? हैरत है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव प्रचार में दूसरे राज्यों में व्यस्त रहने पर यात्रा तैयारियों के लिए देहरादून में अपने वातानुकूलित दफ्तरों से ऑल इज वेल का राग अलापते रहे अफसरान उनकी फटकार के बाद गाडियां उठाकर चारों धामों के हालात जानने ग्राउंड जीरो पर उतरे लेकिन उनको मीडिया न हकीकत दिखाई तो नागवार गुजरी!
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दो टूक शब्दों में कहा है कि उत्तराखंड में चुनाव पहले ही चरण में 19 अप्रैल को खत्म हो चुके थे और यात्रा 10मई से शुरू हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि चारधाम यात्रा के बाद सामने आई बदइंतजामी सीधे सीधे सिस्टम का फेल्योर है। TSR ने कहा कि अफसर अपनी नाकामयाबी और बेबकूफी को छिपाने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं।
जाहिर है हकीकत भी यही है कि चाहे शासन में बैठे आला अफसर हों या पुलिस महकमे के आला अफसर, सब गफलत में रहे और चारधाम यात्रा में किस तरह से अथाह भीड़ उमड़ सकती है, इसकी जरा भी अग्रिम तैयारी करने की जहमत नहीं उठाई। जबकि इशारा पिछले साल आए 55 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ से हो सकता था कि इस बार संख्या कहीं अधिक होगी लेकिन हर बार इलेवंथ आवर में एडहॉक अप्रोच के साथ बहादुरी दिखाने वाले अफसरान चारधाम यात्रा तैयारियों के हवाई दावों के बाद शुरुआती हफ्ते दस दिनों में ही तमाम बदइंतजामी के चलते प्रदेश की साख पर हजारों श्रद्धालुओं के यात्रा अनुभव को यातनापूर्ण बनाकर प्रदेश की छवि को गहरा झटका लगवा चुके हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान से भी यही तस्वीर बयां होती है। लेकिन क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन गैर जिम्मेदार अफसरान के प्रति अभी भी अपनी सौम्य छवि बनाए रखेंगे? यही अनुतरित प्रश्न है।