न्यूज़ 360

Rajasthan Politics: जिन्हें गांधी परिवार का वफादार नंबर एक कहा जा रहा था वही गहलोत लिख रहे दगाबाजी की नई पटकथा!

Share now

Why CM Ashok Gehlot loyalist MLAs ready to submit resignations: कांग्रेस का भी हाल गजब है! सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जिन अशोक गहलोत को अपना सबसे वफादार मानकर कांग्रेस अध्यक्ष बनाना चाह रहे थे, उन्हीं की कुर्सी छिनकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट के पास जाने लगी तो उन्होंने बगावत की ऐसी राजनीतिक पटकथा लिख डाली कि अब ना सोनिया समझ पा रहीं और न भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी ही अपने इस जादूगर’ के खेल का तोड़ निकाल पा रहे।

कहां तो गहलोत के सत्ता को लेकर त्याग की प्रतिमूर्ति वाले बयानात और कहां कुर्सी बचाने को लेकर रचा जा रहा ऐसा डर्टी गेम कि कहीं सरकार ही न चली जाए! कांग्रेस की इस विचित्र स्थिति पर जरा गौर फरमाइए कि कहां तो गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर उनके अनुभव से कांग्रेस में नई जान फूंकने की हसरतें, सभी असंतिष्टों को साथ लाने की उम्मीदें और कहां एक सचिन पायलट से आर पार करने के लिए अशोक गहलोत ने कांग्रेस को ही राजस्थान के रण में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले ही चित करा देने की बिसात बिछा डाली।

आलम यह है कि मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर अजय माकन गहलोत के घर डेरा डाले हैं कि साहब अपने समर्थक अस्सी से अधिक लगभग 92 विधायकों को इस्तीफे देने के ड्रामे से मुक्त कराइए। सोनिया गांधी वेणुगोपाल से फोन कराकर गहलोत से पूछती हैं ये कौनसा नाटक चल रहा राजस्थान में तो सबको गहलोत का एक ही जवाब कि अब मेरे बस में कुछ नहीं विधायक जानें और पार्टी जाने। यानी पहले अंदर ही अंदर चिंगारी सुलगा दी और अब तमाशबीन बन बैठे! कहने को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर इन्हें कांग्रेस का कल्याण करना था।

अब अंदाजा लगाइए 200 सदस्यों की राजस्थान विधानसभा में 108 विधायक कांग्रेस के हैं और उनमें से 92 की गहलोत ने हवा दे रखी है बगावत की। ऊपर से स्पीकर सीपी जोशी जिन्हें अपने बाद गहलोत सीएम देखना चाह रहे वे भी तैयार हैं इस राजनीतिक हवन में अपना फायदा न हुआ तो इस्तीफे स्वीकार कर खुद भी निकल पड़ने को। हैं ना गजब गहलोत का अजब गेम कुर्सी बचाने और कांग्रेस को उलझाने का!

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!