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मस्ती की पाठशाला पर दो मत: गुलेरिया का मत- बच्चोें के सर्वांगीण विकास को स्कूल खोलना जरूरी, त्रेहन का तर्क- तीसरी लहर की चपेट में बच्चे आने लगे तो हालात संभालने लायक सुविधाएं नहीं

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दिल्ली: कोरोना की तीसरी लहर के खतरे के बीच देश के कई राज्य एक सितंबर से स्कूल खोल रहे हैं। लेकिन इसी के साथ यह बहस भी छिड़ गई है कि ऐसे में जब कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी अलग-अलग मंचों से एक्सपर्ट दे चुके तब क्या बच्चोें के लिए अभी स्कूल खोलना सही रहेगा? एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में स्कूल खोलने को लेकर विचार करने का मशविरा दिया है।

लेकिन मेदांता के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहन ने स्कूल खुलने पर अपनी चिंता प्रकट की है। दरअसल देश के कई राज्य एक सितंबर से स्कूल खोलने जा रहे हैं जिस पर डॉ त्रेहन ने चिन्ता जताते कहा है कि अभी हमारे यहाँ बच्चों को वैक्सीन नहीं लग पाई है और ऐसे में अगर बड़ी संख्या में बच्चे संक्रमित होने लगे तो हमारे पास उनकी बेहतर देखभाल के संसाधन-सुविधाएँ न के बराबर हैं। डॉ त्रेहन ने अपील की है कि जब तर सभा बच्चोें का टीकाकरण न हो जाए तब तक संयम बरतने की दरकार है। उन्होंने कहा कि जैसे ही सभी बच्चोें को टीकें लग जाएँ फिर स्कूल खोले जा सकते हैं।


जबकि एम्स डायरेक्टर गुलेरिया स्कूल खोले जाने की पैरवी कर रहे हैं। उनका तर्क है कि बच्चों की सिर्फ स्टडी के लिहाज से ही नहीं बल्कि उनके ऑलराउंड डेवलेपमेंट के स्कूल खुलना जरूरी है। डॉ गुलेरिया ने कहा कि स्कूलों में बड़ी तादाद में बच्चों को मिड डे मील योजना के तहत भरपेट भोजन मिलता है और डिजिटल डिवाइड के चलते कमजोर तबके के बच्चे ऑनलाइन पढाई नहीं कर पा रहे।

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