
UKPSC News: पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद सवालों के कटघरे में खड़ा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग बेरोजगार युवाओं के भारी दबाव के आगे कदम पीछे खींचने को मजबूर हुआ है। आयोग ने दो परीक्षाओं की तय तारीखें निरस्त कर नई परीक्षा तारीखें घोषित कर दी हैं।
प्रदेश भर में युवाओं के विरोध प्रदर्शन का नतीजा है कि मंगलवार को उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ० राकेश कुमार ने आयोग की विशेष बैठक बुलाई। इस आपात बैठक में सभी सदस्यों तथा संबंधित अधिकारियों ने हिस्सा लिया। युवाओं की मांग और बढ़ते दबाव के चलते इस बैठक में परीक्षाओं के सम्बन्ध में विस्तृत एवं गहन विचार-विमर्श किया गया।
आयोग की विशेष बैठक में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों से अवगत कराते हुए डॉ० कुमार ने कहा है कि लेखपाल / राजस्व उप निरीक्षक परीक्षा- 2022, वन आरक्षी परीक्षा- 2022 एवं पी०सी०एस० मुख्य परीक्षा – 2021 की शुचिता एवं गोपनीयता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इन परीक्षाओं को अब नये प्रश्न-पत्रों का निर्माण कराते हुए आयोजित किया जाएगा।
इसी कारण 22 जनवरी, 2023 को आयोजित की जाने वाली वन आरक्षी परीक्षा- 2022 को अब 09 अप्रैल, 2023 एवं दिनांक 28 से 31 जनवरी, 2023 के दौरान होने वाली पी०सी०एस० मुख्य परीक्षा – 2021 को दिनांक 23 से 26 फरवरी, 2023 को आयोजित किया जाएगा।
आयोग तारीखों में बदलाव के चलते अब अपने वार्षिक परीक्षा कलेण्डर में भी आवश्यक संशोधन करेगा और इस दिशा में UKPSC द्वारा कार्यवाही शुरू की जा रही है। सड़कों पर उतरे अभ्यर्थियों को आश्वस्त करते हुए आयोग अध्यक्ष डॉ० कुमार ने कहा है कि आयोग के लिए अभ्यर्थियों का हित सर्वोपरि है। इसके लिए परीक्षाओं को निष्पक्षता एवं उत्कृष्टता के साथ एवं उनके समग्र संचालन से सम्बन्धित विभिन्न प्रक्रियाओं को निर्विघ्नतापूर्वक सम्पन्न कराने हेतु सुरक्षा के कड़े इन्तजाम किये जा रहे हैं।
जाहिर है न केवल बेरोजगार युवाओं और अभ्यर्थियों ने हल्ला मचाया बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी एक बार परीक्षा पेपर लीक होने के बाद महज कुछ ही दिनों l बाद दोबारा परीक्षा कराने में लीक सवालों के पूछे जाने को लेकर आशंका जताई थी।
साफ है भर्तियों को लेकर एक समय धामी सरकार जहां युवाओं में अच्छा संदेश देती दिख रही थी, अब वह सवालों के घेरे में आती दिख रही है। ऐसे में UKPSC के लिए खोई अपनी साख बचाने भर का सवाल नहीं है बल्कि अब धामी सरकार की साख का सवाल भी पारदर्शी नकल रहित परीक्षा कराना बन गया है।