UKSSSC भर्ती घोटाला: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कांड में वाहवाही बंटोरने को उत्तराखंड एसटीएफ ने 40 से अधिक आरोपियों को दबोच लिया। 2016 में वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में नकल माफिया के साथ मिलकर सरकारी नौकरियों की नीलामी के काले खेल में तत्कालीन UKSSSC अध्यक्ष और रिटायर्ड पीसीसीएफ डॉ आरबीएस रावत और सचिव मनोहर सिंह कन्याल के दामन पर कालिख नजर आई तो सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अरेस्टिंग कराने में देरी नहीं की। लेकिन यह एसटीएफ की अदालत में लचर पैरवी का नतीजा रहा या फिर बिना ठोस सबूतों के आरोपियों पर वाहवाही बंटोरने को लेकर धरपकड़ का असर रहा कि एक के बाद एक गिरफ्त में आए 42 आरोपियों में से 22 अदालत के जरिए जमानत लेकर खुली हवा में सांस ले रहे।
इससे सरकार की सख्ती का मैसेज तो कमजोर पड़ा ही साथ ही मास्टरमाइंड सादिक मूसा से लेकर कई भर्ती घोटालों के मास्टरमाइंड हाकम सिंह रावत और सफेदपोश बनकर UKSSSC के परीक्षा तंत्र को दीमक बनकर चाट जाने के आरोपी आरबीएस रावत और मनोहर सिंह कन्याल जैसे बड़े भर्ती घोटाले के घड़ियालों को भी अदालत के रास्ते बच निकलने के आइडियाज आने लगे।
यही वजह रही कि जब एक के बाद एक पेपर लीक कांड के आरोपियों को जमानत मिलने लगी तो आरबीएस रावत और कन्याल भी पहुंच गए विजिलेंस कोर्ट में जमानत की अर्जी लेकर! लेकिन जिस तरह से कोर्ट रूम में कड़ी मशक्कत के बाद शिकंजे में आए आरोपियों को रोक पाने में एसटीएफ नाकाम रही तो सीएम धामी ने एसटीएफ की कमजोरी सरकार की कमजोरी न बन जाए इसलिए सख्त संदेश दिया और उसी का नतीजा रहा कि अदालत में आरबीएस रावत और मनोहर सिंह कन्याल तमाम दांव पेंच आजमाने के बाद भी जमानत पर छूट नहीं सके। विजिलेंस कोर्ट ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी।
दरअसल UKSSSC पेपर लीक कांड में जिस तरह से पहले सामान्य आरोपियों और फिर गैंगस्टर एक्ट के तहत गंभीर धाराओं में गिरफ्तार आरोपी भी जमानत पाने लगे उसने सरकार की साख और एसटीएफ के दावों पर सवालिया निशान लगाने शुरू किए। इसी के चलते सीएम धामी ने एसटीएफ एसएसपी बदल डाला और पुलिस को सख्त संदेश दिया कि इतनी आसानी से किसी भी आरोपी को बच न निकलने दिया जाए। हाई कोर्ट तक जाकर आरोपियों को मिल रही जमानत को चुनौती देने के निर्देश देने पड़े।
अब जब यूकेएसएससी के अध्यक्ष रहे आरबीएस रावत और सचिव मनोहर सिंह कन्याल जैसे गंभीर आरोपों में अरेस्ट आरोपी सलाखों के पीछे जमानत के लिए छटपटा रहे हैं, तब कह सकते हैं कि सीएम के सख्त तेवरों का असर है कि एसटीएफ अदालत में पैरवी करने में कमजोर नहीं पड़ी।