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धामी न गंवाएं नज़ीर पेश करने का मौका: बडोनी का निलंबन बड़ा फैसला पर UKSSSC परीक्षा पर हावी नक़ल माफिया का आयोग में कौन था हाकिम? बिन राजू-बडोनी STF Questioning सच सामने आना कैसे संभव?

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UKSSSC Paper Leak Scam, first big action on the then Secretary Santosh Badoni: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कांड में धामी सरकार की सख्ती लगातार दिखी है। जिस तरह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड एसटीएफ को नक़ल माफिया पर नकेल कसने को आरोपों की जद में आ रहे छोटे-बड़े हर अभियुक्त की जल्द से जल्द धरपकड़ का संदेश दिया, उसी का नतीजा है कि अब तक 32 अभियुक्त एसटीएफ की गिरफ़्त में आ चुके हैं।

इतना ही नहीं गुरुवार को खटीमा कांड में शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों को नमन करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने दोहराया था कि UKSSSC पेपर लीक कांड में आरोपी बड़ा हो या छोटा, किसी को बख़्शा नहीं जाएगा। देर रात्रि मुख्यमंत्री ने VDO/VPDO परीक्षा पेपर लीक कांड के समय उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव रहे संतोष बडोनी को निलंबित कर कड़ा संदेश दे दिया।

यूकेएसएसएससी पेपर लीक कांड का भांडा फूटने के बाद आयोग के अध्यक्ष एस राजू खुद ही नैतिकता का लबादा ओढ़ इस्तीफा देकर बच निकले थे लेकिन सचिव संतोष बडोनी लगातार इस घपले की परतें खोल रहे उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार और उनके साथ गड़बड़ी की आशंका में आवाज उठा रहे बेरोजगार युवाओं को घुड़की देने से बाज़ नहीं आ रहे थे। हालाँकि मुख्यमंत्री धामी ने हालात और विषय की गंभीरता समझते हुए संतोष बडोनी को प्रतिनियुक्ति पर यूकेएसएसएससी सचिव पद से हटाकर सचिवालय में मूल पद संयुक्त सचिव पर भिजवाने का इंतजाम करा दिया था। लेकिन लगातार यह महसूस किया जा रहा था कि बेरोजगार युवाओं के भविष्य और रोजी-रोटी-रोजगार की बड़ी आस जिन भर्ती परीक्षाओं से थी, उनके आयोजन में हो रही लापरवाही को आपराधिक श्रेणी में रखकर आयोग के इन कर्ताधर्ताओं पर एकशन क्यों न लिया जाए!

खैर देर आए पर दुरुस्त आए और मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद गुरुवार देर रात्रि सचिवालय प्रशासन प्रभारी सचिव विनोद कुमार सुमन ने आदेश जारी कर यूकेएसएससी के सचिव रहे संतोष बडोनी को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। इस निलंबन आदेश में सरकार ने माना है कि संतोष बडोनी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव पद पर रहते हुए अपने कर्तव्यों व दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही तथा उदासीनता बरतने के दोषी हैं लिहाजा उनको निलंबित किया जाता है।

निलंबन आदेश के अनुसार संतोष बडोनी आयोग के सचिव के नाते अपने पदीय दायित्व का पर्यवेक्षण उचित तरीके से नहीं कर सके और उनके कार्यकाल में आयोग की परीक्षाओं में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी प्रकाश में आई हैं। निलंबित रहते घोर लापरवाह करार दिए गए संतोष बडोनी अब सचिवालय स्थित प्रशिक्षण और प्रबंध संस्थान कार्यालय से अटैच रहेंगे।

बड़ा सवाल यह है कि जब हाकम सिंह रावत जैसे नक़ल माफिया के मास्टरमाइंड दबोचे जा चुके हैं और उनके रसूख़ की नुमाइश पॉवरफुल लोगों के साथ गलबईयां करते सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही तस्वीरों से हो चुकी है, तब आयोग सिर्फ लापरवाह बना रहा या सोया रहा इतना भर मानकर बैठना कहां तक उचित होगा?

एक के बाद एक परीक्षाओं पर सवाल खड़े हो रहे तब सालों से प्रतिनियुक्ति पर आयोग में सचिव के रूप में अंगद का पाँव जमाकर बैठे रहे संतोष बडोनी को सिर्फ निलंबन तक ही क्यों छोड़ा जाए? आखिर एसटीएफ क्यों नहीं संतोष बडोनी से सवाल जवाब कर पता लगाए कि जब युवाओं के भविष्य का सौदा कहीं यूपी के धामपुर तो कहीं उत्तराखंड के रिजॉर्ट में नक़ल माफिया के हाथों हो रहा था, तब शिकायत लेकर जाने वाले बेरोजगार युवाओं पर कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर गुर्राते रहे संतोष बडोनी कहां थे?
बेरोजगार युवा तो लगातार मांग कर रहे हैं कि सचिव संतोष बडोनी और पेपर लीक का सारा भांडा फूटने के बाद नैतिकता का लबादा ओढ़ आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर साफ बच गए एस राजू की इस दौरान की कॉल डिटेल्स खंगाली जाएं तो कई राज खुल सकते हैं। ऐसे में अब निलंबित हो चुके संतोष बडोनी से एसटीएफ कितना और दूरी बनाए रहेगी आखिर यूकेएसएससी पेपर लीक कांड में जिस तरह से अलग अलग तबक़ों, महकमों के 32 अभियुक्त पकड़े गए हैं उसके बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से जुड़े किसी भी व्यक्ति और संस्था पर आसानी से यकीन कर लेना कहीं घपलेबाजों का मददगार बनना तो नहीं होगा?

जब युवा मुख्यमंत्री धामी बार बार कह ही रहे हैं कि यूकेएसएसएससी पेपर लीक कांड की जांच ऐसी नज़ीर बनेगी कि आगे राज्य में दोबारा युवा सपनों का सौदा करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पाएगा। फिर संतोष बडोनी जैसे लोग जब सरकार खुद मान रही ही अपने दायित्व निर्वहन में घोर लापरवाह रहे तब उनको जांच की आंच से गुज़रने से कब तक रोका जाना चाहिए?

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