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सर्जन ने कविताओं में सहेजे जीवन अनुभव: पद्मश्री डाॅ. संजय के प्रथम काव्य संग्रह की वैली ऑफ वर्ड्स कैफे में चर्चा

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देहरादून: देहरादून के प्रसिद्ध ऑर्थोपैडिक सर्जन और इंडियन ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन के उत्तरांचल स्टेट चैप्टर के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. बीकेएस संजय ने “ऑथर्स फ्रॉम द वैली” के जुलाई संस्करण में अपने रचनात्मक अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि जब कोई चिकित्सक कविताओं को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाता है तो उसमें जीवन के जटिलतम पक्षों की सहज अभिवक्ति होती है।


इस विशेष सत्र का आयोजन वैली ऑफ वर्ड्स, इंटरनेशनल लिटरेचर एंड आर्ट्स फेस्टिवल द्वारा किया गया। वैली ऑफ वर्ड्स के क्यूरेटर और भारत की आईएएस अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ. संजीव चोपड़ा ने कवि का स्वागत करते हुए कहा कि बेहतर समाज के निर्माण के लिए रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना वर्तमान समय की जरूरत है। डॉ. संजीव चोपड़ा ने कहा, एक डॉक्टर के लिए, जो चिकित्सा जगत का उल्लेखनीय नाम हैं, उनकी कविताओं को पढ़ना वास्तव में नए अनुभव से गुजरना है। उनकी कविताएं चिंतनशील दृष्टि के साथ साथ जीवन की यात्रा में वास्तविक अंतर्दृष्टि को दर्शाती हैं।


मॉडरेटर डॉ. सुशील उपाध्याय ने कहा कि डॉ. संजय के नाम कई उपलब्धियां हैं। डाॅ. संजय की चिकित्सकीय एवं सामाजिक उपलब्धियों के लिए‌ उनका नाम वर्ष 2002, 2003, 2004 और 2009 में लिम्का बुक रिकॉर्ड एवं 2005 में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उल्लेखित किया जा चुका है।

डॉ. संजय को उनके प्रथम काव्य संग्रह ‘उपहार संदेश का’ के लिए 2022 में “काव्य भूषण सम्मान” से सम्मानित किया जा चुका है। डाॅ. संजय की रचनाओं में समाज के लिए प्रेम, स्नेह, सेवा और करुणा की सार्वभौमिक भावनाओं को गहनता से दर्शाया गया है।
भारतीय ज्ञानपीठ एवं वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित डॉ. संजय की पचहत्तर कविताओं का नवीनतम संकलन है, जिसका विमोचन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किया गया था।


आज की चर्चा में कवि डॉ. बीकेएस संजय ने अपने संग्रह “उपहार संदेश का” से कई कविताओं का वाचन किया, जो सामान्य रूप से मानव जीवन की जटिल वास्तविकताओं को प्रदर्शित करती हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि ‌‌’दो शब्द’, ‘कविता क्या है’, ‘फैलाव’, ‘सपने हमारे और आपके’ ‘भूख’, ‘नाता’ आदि कविताएं वास्तविक जीवन के अनुभवों पर आधारित हैं।

डॉ.संजय ने कहा कि उन्होंने फिक्शन के बजाय कविता को चुना। उनकी कविताएं जीवन की वास्तविकता पर आधारित हैं, जबकि फिक्सन काल्पनिक होता है।


डॉ. सुशील उपाध्याय ने कविता की दुनिया और इसकी बारीकियों के संदर्भ में डॉ. संजय की यात्रा को परखा। मॉडरेटर ने कवि के बहुआयामी व्यक्तित्व और उनके रचनाकर्म के विभिन्न प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए इन्हें उत्कृष्ट कविताएं बताया।


इस सत्र में उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे, पूर्व मुख्य सचिव एन रविशंकर, वैली ऑफ वर्ड्स की निदेशक रश्मि चोपड़ा, उच्च शिक्षा एवं भाषा की पूर्व निदेशक प्रोफेसर सविता मोहन, सुप्रसिद्ध उद्योगपति डॉ. एस फारुख, गीतकार असीम शुक्ल, शिव मोहन सिंह, डॉ. सोमेश्वर पांडे आदि सहित अनेक प्रमुख लोग उपस्थित थे।

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