
उत्तराखंड Assembly Winter Session begins from 29 November: उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। 29 नवंबर से शुरू होकर 5 दिसंबर तक चलने वाले विधानसभा सत्र के दौरान जहां धामी सरकार अनुपूरक बजट सहित कई अहम विधेयक पारित कराना चाहेगी, वहीं विपक्षी कांग्रेस ने तेवर दिखा दिए हैं कि वह करीब एक दर्जन मुद्दों पर हमलावर होगी।
अगर पहले सरकार की तैयारी की बात करें तो वह आज शाम 4 बजे लगभग पांच हजार करोड़ रु (4867 करोड़) का अनुपूरक बजट पेश करेगी। इसके अलावा सरकार अध्यादेश और संशोधन के बाद आए विभिन्न विभागों के आधा दर्जन विधेयक भी सदन के पटल पर रखेगी। शीत सत्र को गरमाने के लिए सत्तापक्ष से लेकर विपक्षी विधायकों ने 616 प्रश्न लगाए हैं। खासतौर पर प्रश्नकाल ने सत्तापक्ष के विधायकों के प्रश्न अक्सर मंत्रियों के लिए मुसीबत का सबब बनते रहे हैं। खास तौर पर टूरिज्म मंत्री सतपाल महाराज अक्सर प्रश्नकाल में सबसे अधिक घिरते रहे हैं।
अगर सरकारी कामकाज के इतर विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के तेवर आक्रामक दिखाई दे रहे। हालांकि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी के लिए चुनौती यह भी कम नहीं रहेगी कि वे विपक्षी कैंप में एकजुटता प्रदर्शित करते रहें। कई मौकों पर सत्र के दौरान कांग्रेसी एकता बिखरती दिखती रही है।
बहरहाल अगर विपक्षी तरकश के तीरों की बात करें तो शीत सत्र के पहले ही दिन कांग्रेस कानून व्यवस्था और भर्ती घोटाले को मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला बोलेगी। कांग्रेस लॉ एंड आर्डर के मुद्दे पर काम रोको प्रस्ताव लेकर आ रही है। जाहिर है इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक झोंक दिखाई देगी।
दरअसल विधानसभा सत्र की पृष्ठभूमि में अंकिता भंडारी हत्याकांड से लेकर उधमसिंहनगर जिले में एक के बाद एक हुई दो घटनाओं ने कांग्रेस को लॉ एंड ऑर्डर पर सरकार की घेराबंदी का मौका दे दिया है। इसके अलावा उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कांड भी विपक्षी तरकश का तीर बनेगा। हालांकि जिस तरह से सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एसटीएफ जांच और हाकम सिंह रावत जैसे नकल माफियाओं पर गैंगस्टर एक्ट, बुलडोजर और कुर्की कराने जैसे एक्शन लिए हैं उससे सत्ताधारी दल बीजेपी भी आक्रामक होकर कांग्रेस के वार पर पलटवार की तैयारी में है।
गैरसैंण में सत्र से बचने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस इस एक और मुद्दे पर सरकार को घेरना चाहेगी। हालांकि सरकार का तर्क होगा कि निर्दलीय और बसपा विधायकों की मांग के बाद वह देहरादून में सत्र कराने को मजबूर हुई है।
विधानसभा के शीत सत्र के दौरान विधानसभा सचिवालय में हुई बैकडोर भर्तियों का मुद्दा भी खासा गरमाएगा। हाल में हाई कोर्ट ने स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण के फैसले पर मुहर लगाते हुए करीब 250 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करना सही ठहराया है। लेकिन 2016 से पूर्व इस तर्ज पर हुई बैकडोर भर्तियों का मुद्दा विपक्ष उठाएगा।
जबकि हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेसियों पर मुकदमेबाजी का मुद्दा भी कांग्रेस उठाएगी।