
Adda स्पेशल: एक आईएएस अधिकारी के सोशल मीडिया में नुमाया हुए इस संदेश को पहले हुबहू पढ़िए फिर बात आगे बढ़ाते हैं कि आख़िर ये शब्द भेदी बाण किनकी तरफ़ हैं और यह स्थिति इस पड़ाव तक पहुँची कैसे कि फ़ेसबुक पर आकर एक नौकरशाह को दर्द ए दिल उतार कर रख देना पड़ा!
हुबहू पोस्ट जो अब हटा ली गई लेकिन वायरल हो चुकी है:
अरे कुमाऊँ के youtuber खड़ी बाज़ार के अलावा बहुत काम जोड़ना भूल गया .वीडियो देख के जोड़ लेना. संस्कृति, स्थापत्य कला का संरक्षण क्या होता है ना तू समझ पाएगा और ना ही तेरा जोड़ीदार गढ़वाल का शकुनि पांडे ! दोनों वीडियो देख के और मिलके इन कामों में प्रेस कांफ्रेंस करवाते रहना.

अब चलिए समझते हैं कि आख़िर ये ब्यूरोक्रेसी का बवंडर क्यों ओपन वॉर में तब्दील हो गया।
अमूमन अंदर ही अंदर पॉवर कॉरिडोर्स में एक दूसरे के ख़िलाफ़ शह और मात का खेल खेलने वाली उत्तराखंड ब्यूरोक्रेसी में अबकी बार ओपन वॉर छिड़ता दिखाई दे रहा है। यह हाल तब है जब प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आए दिन प्रदेश की नौकरशाही के पेंच कसते रहते हैं! वरना कौन जाने प्रदेश के आईएएस एक दूसरे के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरकर मोर्चा खोल बैठें! ऐसा इसलिए कि जिस अंदाज़ में सोमवार को एक आईएएस अफ़सर की फेसबुक पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हुई है, वह साफ़ बताती है कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में ‘ऑल इज नॉट वेल’!
उत्तराखंड के पॉवर कॉरिडोर्स में ताजा बवंडर के पीछे आईएएस धीराज गर्ब्याल की वह फेसबुक पोस्ट है जिसमें डंके की चोट पर बिना नाम लिए या अलबत्ता एक वरिष्ठ आईएएस अफसर की कार्य शैली और दूसरे अफसर का सरनेम बताकर उन्होंने साफ़ इशारा कर दिया है कि मैटर छोटा-मोटा नहीं बल्कि बड़ा खेला चल रहा है जिससे आहत होकर आईएएस धीराज गर्ब्याल को सोशल मीडिया में आकर पोस्ट लिखकर अपना दर्द और गुस्सा व्यक्त करने को मजबूर होना पड़ा है। यह अलग बात है कि फेसबुक पोस्ट वायरल होने के बाद उन्होंने इसे हटा लिया है लेकिन इसका स्क्रीन शॉट पूरे उत्तराखंड के सोशल मीडिया में वायरल हो चुका है। यानी धीराज का तीर कमान से निकल चुका और निशाने पर दोनों मंडलों के आलाधिकारी हैं यह भी साफ़ पता चल गया है। जानकार सूत्रों की मानें तो मैटर अब मुख्यमंत्री की टेबल पर पहुँच चुका है और चारधाम यात्रा के मोर्चे पर जुटे सीएम धामी को नौकरशाही का यह ओपन वॉर रास नहीं आया है। बताया जा रहा है कि मुख्य सचिव आनंद बर्धन को भी यह मामला नागवार गुज़रा है और जवाब तलब किया गया है। देखना दिलचस्प होगा कि किस पर गाज गिरती है लेकिन इस मामले ने ब्यूरोक्रेसी के भीतर के बवंडर को फोड़े की तरह फोड़कर सबके सामने ला दिया है और नौकरशाही के शह मात का मवाद अब इससे बहता हुआ साफ़ दिखाई दे रहा है। संभवतया राज्य गठन के बाद यह पहला मौका है जब आईएएस अफसर इस कदर एक दूसरे के सामने खड़े हुए हों!
विवाद के तार ?
जैसा कि आप जानते ही हैं कि वर्तमान में शासन में अपर सचिव पद पर तैनात आईएएस धीराज गर्ब्याल हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल और नैनीताल के डीएम रह चुके हैं। विवाद के तार नैनीताल जिले के डीएम रहने के वक्त से जुड़े हुए हैं। धीराज जहाँ भी डीएम रहे कुछ ख़ास पहाड़ी शैली का काम हाथ में लेकर वे अपनी छाप छोड़ते दिखाई दिए। नैनीताल में पहाड़ी शैली, संस्कृति और स्थापत्य कला के संरक्षण का संदेश देते हुए बाज़ार और पर्यटन स्थल बनायें। बाद में ऐसे ही कुछ कामों में गड़बड़ी के आरोप को लेकर उनके ख़िलाफ़ नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। दरअसल हाईकोर्ट में दायर याचिका में शहर के सौंदर्यीकरण के नाम पर धांधली करने, डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फण्ड के दुरुपयोग से लेकर एससी/ एसटी की ज़मीन का लैंड यूज़ चेंज करने और नियमों से परे जाकर शस्त्र लाइसेंस देने जैसे कई आरोप चस्पां किए गए थे।
अभी एक दिन पहले ही जन संघर्ष मोर्चा के नेता रघुनाथ सिंह नेगी ने प्रेस वार्ता कर आईएएस धीराज के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था और उसके तुरंत बाद उनकी जवाबी फेसबुक पोस्ट आ गई जिसमें दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के ही हाथ उनके ख़िलाफ़ साज़िश में सने होने का साफ़ साफ़ इशारा किया गया है।
वैसे The News ADDA के पास वह दस्तावेज भी मौजूद हैं जिनमें यह बताया गया है कि किसी ख़ास ज़मीन के सरकार में निहित करने के बाद आईएएस धीराज के पीछे कुछ लोग वेस्टेड इंटरेस्ट के साथ पड़े हुए हैं। लेकिन धीराज की फेसबुक पोस्ट के बाद इशारा कुमाऊँ और गढ़वाल के सबसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की ओर करना विषय की गंभीरता को दर्शाता है।
आईएएस धीराज नैनीताल के बाद पहले पौड़ी के डीएम रहे जहाँ कंडोलिया थीम पार्क के लिए चर्चित हुए और फिर हरिद्वार में उनके जिलाधिकारी रहते हुए मंगलौर विधानसभा का उपचुनाव भी हुआ था।
सवाल है कि आईएएस धीराज ने जिस तरह से सोशल मीडिया में अपना दर्द और गुस्सा दिखाया है तो क्या जन संघर्ष मोर्चा के रघुनाथ सिंह नेगी की प्रेस कांफ्रेंस नौकरशाही के आला अफ़सरान द्वारा प्लांटेड थी ? क्या आईएएस धीराज, अरे कुमाऊँ के यूट्यूबर के ज़रिए कुमाऊँ कमिश्नर दीपक रावत की तरफ़ इशारा कर रहे? और ..तेरा जोड़ीदार गढ़वाल का शकुनि पांडे, से उनका इशारा क्या गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे की तरफ है? या फिर कुमाऊँ के यूट्यूबर और गढ़वाल का शकुनि पांडे के ज़रिए धीराज के निशाने पर दूसरे अफ़सरान रहे ? ज़ाहिर है ये सुलगते सवाल उनकी फेसबुक से पोस्ट डिलीट होने के बावजूद प्रदेश के पॉवर कॉरिडोर में किसी दावानल की तरह दहक रहे हैं!