Uttarakhand Forest Fire case in SC: उत्तराखंड के जंगलों में भड़के दावानल को लेकर देशभर के पर्यावरणविद और जीव विज्ञानी चिंतित हैं और वनाग्नि रोकथाम को लेकर राज्य सरकार के बेबस नजर आने पर अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर हो रही सुनवाई की तरफ लगी हुई हैं। बुधवार को देश की शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने उत्तराखंड में धू धू कर जलते जंगलों (forest fire in Uttarakhand) को लेकर सुनवाई करते हुए राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार को फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट में धामी सरकार की खिंचाई
वनाग्नि को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हम बारिश या क्लाउड सीडिंग के भरोसे हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रह सकते हैं और राज्य सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और वरिष्ठ एडवोकेट राजीव दत्ता ने धामी सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि दो साल पहले भी एनजीटी (National Green Tribunal) में एक याचिका लगाई गई थी लेकिन अब तक उस पर भी राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है जिसके चलते उनको याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट आना पड़ा है।
याचिकाकर्ता एडवोकेट राजीव दत्ता ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए अमेरिकी सिंगर बिली जोएल के गाने का जिक्र करते हुए कहा,” 1989 में आया एक लोकप्रिय गाना है We didn’t start the fire ( हमने आग नहीं लगाई)।” एडवोकेट दत्ता के वनाग्नि पर गाने के बहाने की गए तंज का उसी अंदाज में जवाब देते हुए जस्टिस संदीप मेहता ने भी एक दूसरे गाने का जिक्र कर उत्तराखंड सरकार पर तंज कसा,”What goes around comes around (जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे) । शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार इंद्र देवता या कृत्रिम बारिश के नाम पर हाथ पर हाथ धरे बैठी नहीं रह सकती है।
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जतिंदर कुमार सेठी ने कहा वनाग्नि मामले में अब तक 350 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें 62 लोगों को नामजद किया गया है। जबकि 298 अज्ञात लोगों की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं और कुछ को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया गया है।
सरकारी वकील द्वारा रखे गए इन तमाम आंकड़ों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए याचिकाकर्ता एडवोकेट दत्ता ने कहा कि राज्य सरकार जितनी तसल्ली के साथ आराम से जो ब्योरा पेश कर रही है, उत्तराखंड में वनाग्नि के हालात उससे कहीं अधिक भयावह और गंभीर हैं। हालात ये हैं कि आज जंगल में रहने वाले जानवर, पक्षी और वनस्पति के साथ ही नजदीक के इलाकों में रहने वाले स्थानीय लोगों के जीवन पर ही गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
जस्टिस गवई ने कहा कि क्या इस मामले में सेंट्रल एंपावर्ड कमिटी (Central Empowered Committee) को भी शामिल कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को फटकारते हुए कहा कि मीडिया में जंगलों में भड़की आग की भयावह तस्वीरें आपने भी देखी होंगी! कोर्ट ने पूछा,”क्या कर रही है राज्य सरकार?” जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि हम बारिश या क्लाउड सीडिंग के भरोसे हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठे रह सकते हैं।
उत्तराखंड वनाग्नि मामले में 15 मई को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को आगे बढ़कर शीघ्र ही कारगार उपाय करने होंगे। सुप्रीम कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 15 मई को करेगा।