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Tokyo Olympics 2020: बेटियाँ हैं तो देश को मेडल की आस है, उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया ने ‘करो या मरो’ मैच में हैट्रिक लगा रचा इतिहास

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देहरादून: टोक्यो ओलंपिक में हैट्रिक लगाने वाली उत्तराखंड की बेटी और भारतीय महिला हॉकी की स्टार वंदना कटारिया का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। हरिद्वार के रोशनाबाद की वंदना ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ‘करो या मरो’ वाले मैच में एक के बाद एक तीन गोल दागकर टीम को टीम इंडिया को जीत दिलाई। ओलंपिक में गोलों की हैट्रिक जमाने वाली वंदना भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं। हाकी इंडिया ने भी वंदना को ट्वीट कर बधाई दी है, वंदना की इस सफलता पर उनके घर में जश्न का माहौल है।

वंदना कटारिया का परिवार हरिद्वार के रोशनाबाद में रहता है। हरिद्वार भेल से सेवानिवृत्त होने के बाद वंदना के पिता ने रोशनाबाद में दूध का व्यवसाय शुरू किया था। पिता के स्पोर्ट से वंदना कटारिया ने रोशनाबाद से ही अपनी हाकी की यात्रा शुरू की थी। शुरू में में वंदना के इस कदम को लेकर स्थानीय लोगों ने परिवार के साथ उनका भी मजाक उड़ाया था। पिता नाहर सिंह और माता सोरण देवी ने इसकी परवाह न करते हुए वंदना के सपने को साकार करने के लिए हर कदम पर उसकी सहायता की।

हॉकी के प्रति लगन और तैयार का नतीजा है कि पिता की मौत के बाद भी बंगलुरू में टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी वंदना कटारिया पिता के अंतिम दर्शन करने भी घर नहीं आ सकी। लेकिन दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए मैच में शानदार प्रदर्शन कर अपने पिता को श्रद्धांजलि दे दी है। वंदना का सपना ओलिंपिक में मेडल जीतकर पिता को श्रद्धांजलि देना है। वंदना के पिता की 30 मई को हृदयगति रुकने से निधन हो गया था।वंदना के पिता की इच्छा थी कि बेटी ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा बनें।
। मां सोरण देवी का कहना है कि हमने वंदना से कहा कि जिस उद्देश्य की कामना को लेकर मेहनत कर रही हो पहले उसे पूरा करो, पिता का आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ रहेगा।
आज वंदना के करिश्मे के बाद देशवासियों को उम्मीद है कि हॉकी में छोरियाँ दुनिया की किसी टीम से कम नहीं हैं और मेडल का सपना सच होगा।

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