देहरादून: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच पिछले दो दशक से भी अधिक समय से परिसंपत्तियों के बँटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। 2017 के बाद परिसंपत्ति विवाद निपटारे की उम्मीद इसलिए जगी क्योंकि लखनऊ, देहरादून से लेकर दिल्ली तक एक ही दल भाजपा की सरकार यानी ट्रिपल इंजन सरकार क़ाबिज़ है। लेकिन हकीकत यह है कि परिसंपत्ति विवाद अभी भी बना हुआ है फिर भले यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में मंगलवार को उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दावा ठोका हो कि 21 सालों से लटके विवाद के योगी के साथ 20 मिनट की बैठक में हल कर लिया गया।
वामपंथी दलों ने जिनमें भाकपा, माकपा और भाकपा (माले) शामिल हैं, एक संयुक्त प्रेस बयान जारी परिसंपत्ति बँटवारे को लेकर अहम सवाल उठाए हैं। संयुक्त प्रेस बयान में कहा गया है कि 18 नवंबर 2021 को उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बँटवारे के मामले में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक करने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया था कि परिसंपत्तियों के बँटवारे का मसला सुलझा लिया गया है और इसमें उत्तराखंड के हितों को सुरक्षित रखा गया है।
लेकिन अब जो जानकारी सामने आ रही है, उससे साफ नजर आ रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उत्तराखंड के भूभाग पर स्थित परिसंपत्तियों को उत्तर प्रदेश के हवाले कर आए हैं और इस तरह उन्होंने उत्तराखंड के हितों के साथ कुठाराघात किया है।
परिसंपत्तियों के बँटवारे हेतु 02 दिसंबर 2021 को हुई बैठक का कार्यवृत्त बता रहा है कि कुम्भ क्षेत्र समेत उत्तराखंड के भूभाग में स्थित परिसंपत्तियों को उत्तराखंड को सौंपने के बजाय इस पर उत्तर प्रदेश का स्वामित्व कायम रखा गया है।
हरिद्वार में कुम्भ मेला हेतु उपयोग में लायी जाने वाली कुल 697.576 हेक्टेयर भूमि के संबंध में फैसला किया गया है कि उक्त भूमि उत्तराखंड को हस्तांतरित नहीं की जाएगी बल्कि इस पर उत्तर प्रदेश का स्वामित्व रहेगा और कुम्भ मेला व अन्य आवश्यक प्रयोजन हेतु अनुमति प्रदान की जाएगी। यानी उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित कुम्भ मेला क्षेत्र न केवल उत्तर प्रदेश को दे दिया गया है, बल्कि उस पर कोई भी आयोजन करने के लिए उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अनुमति लेने का प्रावधान भी कर दिया गया है। इससे ज्यादा खिलवाड़ उत्तराखंड के हितों के साथ और क्या किया जा सकता है ?
इसी तरह उधमसिंह नगर जनपद में धौरा, बेगुल एवं नानक सागर बांध एवं जलाशय में जल क्रीड़ा एवं पर्यटन हेतु उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा उत्तराखंड को अनुमति देने की संस्तुति की गयी है। प्रश्न यह है कि उत्तराखंड की जमीन पर स्थित इन जलाशयों पर उत्तराखंड का स्वामित्व क्यूँ नहीं है ? टिहरी बांध में जिस तरह उत्तराखंड की हिस्सेदारी खत्म की गयी, यह भी ठीक उसी तरह का मामला है।
उत्तराखंड राज्य बनते समय परिसंपत्तियों में उत्तराखंड के साथ छल किया गया। तब भी उत्तर प्रदेश और केंद्र में भाजपा सरकार थी। आज राज्य बनने के दो दशक बाद पुनः परिसंपत्तियों के बँटवारे में उत्तराखंड के साथ छल किया गया और इस समय में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र, तीनों ही जगह पर भाजपा सरकार है।
हम यह मांग करते हैं कि परिसंपत्तियों में उत्तराखंड के साथ छल करने वाले इस बँटवारे को निरस्त किया जाये और उत्तराखंड की जमीन पर स्थित सभी परिसंपत्तियों का स्वामित्व उत्तराखंड को सौंपा जाये।
समर भण्डारी
राज्य सचिव
भाकपा
राजेन्द्र सिंह नेगी
राज्य सचिव
माकपा
इन्द्रेश मैखुरी
राज्य कमेटी सदस्य
भाकपा(माले)