न्यूज़ 360

VIDEO चीन-पाकिस्तान से नहीं आया, उत्तराखंडी हूं: बहुगुणा-हरक पहले कांग्रेस से भाजपा लेकर गए, अब केदारनाथ का टिकट मांग करीबी रही शैलारानी रावत की राजनीति खत्म कराने पर तुले ‘शेर ए गढ़वाल’!

Share now

देहरादून/केदारनाथ: कहते सियासत में कुछ फैसले दूरगामी असर छोड़ जाते हैं। कम से कम 18 मार्च 2016 की कांग्रेसी बगावत का हिस्सा रही शैलारानी रावत और शैलन्द्र मोहन सिंघल जैसे नेताओं ने गुज़रे पांच सालों में कई बार ऐसा महसूस किया होगा। शैलन्द्र मोहन सिंघल को तो खैर अब भी उम्मीद है कि शायद भाजपा का टिकट पा जाए लेकिन शैलारानी रावत के सामने कई चुनौतियां हैं। 2017 का चुनाव हार गई शैलारानी को भाजपा में टिकट को लेकर दूसरी महिला दावेदार आशा नौटियाल से तो टक्कर लेनी ही है लेकिन अब असल मुकाबला एक जमाने में वरिष्ठ राजनीतिक सहयोगी रहे हरक सिंह रावत से भी लेना पड़ सकता है।

कोटद्वार के किले में सुरेन्द्र सिंह नेगी को सामने देखकर हार के डर से घबराए हरक सिंह रावत की नजर कभी लैंसडौन, कभी यमकेश्वर तो कभी डोईवाला पर घूम रही थी। लेकिन न यमकेश्वर में ऋतु खंडूरी को हिला पाना आसान और न ही डोईवाला से टिकट पा जाना संभव दिख रहा। रही सही कसर लैंसडौन से दो बार के विधायक महंत दलीप रावत ने भी हल्ला मचाकर पूरी कर दी है। भाजपा ने महंत को आश्वस्त कर दिया है कि लैंसडौन से उनका टिकट नहीं कटेगा।

लिहाजा अब हरक सिंह रावत को केदारनाथ सीट ही सबसे सेफ नजर आ रही है। फिर भले ही चाहे शैलारानी रावत के राजनीतिक करिअर पर ही ब्रेक क्यों न लग जाए! अपनी सियासत बचाने को शैला ने बाहरी-स्थानीय का राग अलापा तो हरक सिंह रावत भी कहां मानने वाले थे! 2012 में रुद्रप्रयाग से विधायक रहते कराए अपने काम गिना डाले और लगे हाथ जून 2013 की आपदा के दौरान केदारनाथ में किए विकास कार्य बताने लगे। साथ ही खुद को उत्तराखंडी बताते कहा कि मैं पाकिस्तानी तो हूँ नहीं न चीन से आया हूँ, भारत का नागरिक हूं, यह संकुचित सोच नहीं होना चाहिए।

YouTube player

जाहिर है हरक सिंह रावत किसी भी क़ीमत पर कोटद्वार से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं और अब नजर केदारनाथ सीट पर टिक गई है। वैसे शैलारानी रावत को अब विजय बहुगुणा और तमाम कांग्रेसी गोत्र के नेताओं के साथ बैठकर पूछना चाहिए कि आखिर कांग्रेस से भाजपा में क्या इसी दिन को दिखाने के लिए लाया गया था! सवाल भाजपा के रणनीतिकारों के सामने भी खड़ा है कि जब हरक सिंह रावत जैसे कद्दावर मंत्री जिनका दावा है कि पांच सालों में उन्होंने विकास की गंगा बहाई है तब भी सीट बदलने को क्यों मजबूर हो रहे हैं?
चर्चा सतपाल महाराज से लेकर और भी एक-दो कद्दावर मंत्रियों की हो रही जो सुरक्षित सीट के लिए बेचैन बताये जा रहे! अब अगर डबल इंजन में काम कराकर भी हरक सिंह रावत जैसे कद्दावर मंत्री भी अपनी सीट पर सुरक्षित नहीं तब शैलारानी से लेकर आशा नौटियाल जैसे जाने कितने दावेदारों की बलि ले ली जाएगी!

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!