काठगोदाम: कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उत्तराखंड पुलिस फ्रंटलाइन वॉरिअर्स के तौर पर हम मोर्चे पर नजर आ रही है। फिर चाहे कोविड प्रोटोकॉल के कड़ाई से पालन को लेकर मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर ड्यूटी देना हो। या फिर बुजुर्ग, लाचार और बीमार लोगों तक दवा-खाना आदि पहुँचाना हो, खाकी में इंसान हर जगह आपको मोर्चे पर तैनात नजर आएंगे।
कोरोना महामारी में ड्यूटी पर जाते अपने पुलिस वाले पापा के लिए नौ साल के बेटे वंश ने लिखी कविता। नौ साल के वंश ने अपने बालमन की कोमल भावनाओं से महामारी के बीच वर्दी में फ्रंटलाइन पर डटे वॉरिअर्स को लेकर उनके परिवार के अन्तर्मन की तस्वीर उतार दी है इन चंद लाइनों के ज़रिए..
9 साल के वंश ने ये कविता अपने पिता के लिए लिखी है, जो बनबसा में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात हैं। वंश की मम्मी भी पुलिस विभाग में नौकरी कर रही हैं। वंश के दादा ने कुछ ही महीने पहले पुलिस विभाग से स्वास्थ्य खराब रहने की वजह से वीआरएस लिया है।वंश के पिता जब कोविड जंग में ड्यूटी पर रहते तो मम्मा लॉकडाउन के दौर में ड्यूटी के बाद गरीब बच्चों को पढ़ाती। खाकी को लेकर घर के भीतर खरापन देखकर वंश ने अपनी कविता के ज़रिए पुलिस वालों के परिवार की कहानी बयां कर दी है।