- मंत्री महाराज को फिर गुस्सा आया सिंचाई विभाग की मीटिंग में अधिकारियों पर मंत्री को मूर्ख बनाने का लगाया गंभीर आरोप
- अधिकारियों की कार्यप्रणाली से फिर नाराज दिखे सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज
- सोमवार को सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली पर उखड़े सतपाल महाराज
- बैठक में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने संबंधित अधिकारी पर उचित कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए
देहरादून: चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे राज्य सरकार के मंत्रियों ने ये नया चलन शुरू कर दिया है कि बैठकों में अधिकारियों को फटकारों और अपनी ही टीम से उसका चुपके से वीडियो बनवाओ और मनमाफिक एडिटिड हिस्से को चुपके से मीडिया में लीक कर दो, बस! और लीजिए गरमा गरम हेडलाइन तैयार- फ़लां मंत्री ने मीटिंग में अफसरों के कसे पेंच, जमकर लगाई फटकार, दिया अल्टीमेटम, तेवर तल्ख वगैरह वगैरह। पर इससे हासिल क्या हो रहा महज एक दिन-दो दिन का हेडलाइन मैनेजमेंट!
अब इसी कड़ी में लोक निर्माण और सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। मंत्री महाराज भरी मीटिंग में रुष्ट होकर किसी अधिकारी को फटकार लगा रहे हैं। माजरा ये है कि मंत्री महाराज मौका मुआयना करने पहुँचे कैबिनेट सहयोगी मंत्री यतीशवरानंद के क्षेत्र में सिंचाई विभाग के कामकाज का।
अधिकारी को डाँटते मंत्री महाराज कहते सुनाई दे रहे हैं कि उनको अधिकारी ने झूठी जानकारी दी कि जेसीबी कल शाम से काम कर रही है। जबकि महाराज ने जेसीबी ड्राइवर से पूछा कब आए हो तो पता चला कि आज सवेरे ही जेसीबी काम पर आई है। और पानी का प्रेशर इतना ज्यादा था कि काम हो नहीं सकता था बस मंत्री आए हैं तो दिखाने के लिए जेसीबी लाकर खड़ी कर दी गई।
इस पर वायरल वीडियो में और भड़कते दिख रहे महाराज कहते हैं कि ये केवल एक दिखावा कर रहे हैं और वे इसे टोलरेट नहीं करेंगे। महाराज फिर सचिव मुरुगेशन की तरफ मुख़ातिब होकर कहते हैं,’जेसीबी 11बजे आई मुरुगेशन जी देख लीजिए।’
महाराज फिर किसी अधिकारी को कह रहे हैं कि सख्त कार्रवाई कीजिए। मंत्री को डिसिव न करें यानी धोखा दे रहे हैं। मंत्री को फूल यानी मूर्ख बनाने की कोशिश न करें। इसके बाद वीडियो खत्म हो जाता है।
इससे पहले जून में ऊधमसिंहनगर पहुँचे मंत्री महाराज ने जिला योजना की बैठक में पुलिस कप्तान को अवैध खनन और नशे के कारोबार को लेकर फटकारा था। PWD और सिंचाई विभाग अधिकारियों के पेंच भी कसे थे। लेकिन उसके बाद वहाँ कुछ सुधार हुआ? अवैध खनन रूक गया, ट्रकों स वसूली रूक गई, नशे का कारोबार रुक गया?
इससे पहले मंत्री गणेश जोशी ने अधिकारियों पर सरकार की नाक के नीचे गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था। स्वास्थ्य महकमे में किस किस पर कार्रवाई हुई उसके बाद?
ऐसा लगता है मानो रणनीति ये है कि चुनाव तक सरकार की सारी नाकामियों का खलनायक अधिकारियों-नौकरशाही को बना डाला जाए ताकि जनता में मैसेज रहे कि पांच साल मंत्रीजी तो मासूम रहे सारा गुनाह अधिकारी-कर्मचारी का रहा।
सवाल है कि आखिर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज को साढ़े चार साल सिंचाई मंत्री रहने के बाद अहसास हो रहा कि अधिकारी डिसीव यानी धोखा दे रहे? मंत्री को मूर्ख बना रहे?
अगर किसी जिले का कप्तान अवैध खनन नहीं रोक पा रहा तो उसे मीटिंग में फटकार कर निकल जाने से समस्या हल हो गई?
कही बैठकों में अधिकारियों के बहाने निकल रही मंत्रियों की भड़ास अपने ऊपर बढ़ते कामकाज के मोर्चे की नाकामी के डर का असर तो नहीं?