देहरादून: चारधाम देवस्थानम् बोर्ड धामी सरकार के गले की फांस बना हुआ है। न उगलते बन रहा न निगलते बन रहा! लेकिन अब देवस्थानम बोर्ड पर तीर्थ-पुरोहितों के आंदोलन और आवाज को दबाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनका मीडिया प्रचार तंत्र झूठ का सहारा लेने से भी गुरेज़ नहीं कर रहा है। क्या दिल्ली से बढ़ते दबाव को चकमा देने की रणनीति रही या कोई और वजह मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री धामी से देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी और केदारनाथ से पूर्व विधायक शैला रानी रावत के साथ कुछ लोग मुलाकात करते हैं। इस मुलाकात की फोटो अपने ट्विटर हेंडल से ट्विट करते हुए खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लिखते हैं कि बदरीनाथ-केदारनाथ के तीर्थ-पुरोहितों से भेंट हुई। सीएम द्वारा ट्विट पढ़िए जिसमें मुख्यमंत्री देवस्थानम बोर्ड पर सारी आशंकाएँ दूर करने सहित कई बातें कह रहे हैं।
जबकि असलियत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ट्विट झूठा है। खुद केदारनाथ समिति के अध्यक्ष विनोद प्रसाद शुक्ल ने बाक़ायदा प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि एक भी तीर्थ पुरोहित मुख्यमंत्री के साथ बैठक में नहीं दिख रहा है।
तीर्थ पुरोहितों ने पूर्व विधायक शैलारानी रावत के हवाले से एक बयान भी हम तक भेजा है जो इस प्रकार है।
आज हमारा शिष्टमंडल अलग से केदारनाथ विधानसभा की समस्याओं को लेकर माननीय मुख्यमंत्री जी को मिला उसमें केदारधाम के क़ोई भी सम्मानित तीर्थ पुरोहित उपस्थित नही थे वहाँ पर माननीय विधायक विनोद कंडारी ज़ी के साथ उनके क्षेत्र का शिष्ट मण्डल था। दोनों शिष्टमंडल के एक साथ वहां पर उपस्थित होने से भूलवश समाचार एजेंसी/ एडमिन द्वारा ये समझा गया कि यह साथ आये हैं।। मैं इस खबर का खंडन करती हूँ।।
शैला रानी रावत, पूर्व विधायक, केदारनाथ
इसके बाद हमने पूर्व विधायक शैलारानी रावत का फेसबुक पेज खंगाला जहां पता चलता है कि वे तल्लानागपुर क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ स्थानीय समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मिली थीं। उनके साथ मंडल अध्यक्ष गंभीर सिंह बिष्ट भी थे और तल्लानागपुर में राजकीय महाविद्यालय स्थापना से लेकर पॉलिटेक्निक भवन और अस्पताल निर्माण सहित कई माँगें मुख्यमंत्री से मुलाकात में रखी। उनकी इस सूचना में कहीं से कहीं तक केदारनाथ तीर्थ-पुरोहित आंदोलन या देवस्थानम बोर्ड पर कोई ब्योरा नहीं दिया गया है।
अब The News Adda ने मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वाले देवप्रयाग से बीजेपी विधायक विनोद कंडारी से फ़ोन पर बात की। बीजेपी विधायक ने कहा, ”मैंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से समय माँगा था। समय मिलने पर मेरे विधानसभा क्षेत्र देवप्रयाग के पंडा समाज के लोग जिनके अभी पांच साल के लिए चुनाव हुए थे तो उसके बाद मुलाकात करने गए थे। हमारे प्रतिनिधिमंडल की 15 मिनट मुख्यमंत्री से बातचीत हुई। मेरे साथ देवप्रयाग के पंडा समाज के लोग गए थे जो बदरीनाथ की पूजा भी करते हैं लेकिन वे देवस्थानम बोर्ड को लेकर मुख्यमंत्री से नहीं मिले बल्कि पांच साल में होने वाले अपने चुनाव के बाद मुख्यमंत्री से मिलने पहुँचे थे और इस दौरान अपनी बातें रखी।”
यानी तीर्थ-पुरोहितों की मौजूदगी न होने के बाद भी हेडलाइन मैनेजमेंट को लेकर इतने बड़े झूठ का सहारा लिया गया!
इसी तर्ज पर सूचना विभाग ने भी एक प्रेस रिलीज मीडिया में जारी करता है। यहाँ पढ़िए:-
मंगलवार को सीएम आवास में देवप्रयाग विधायक श्री विनोद कण्डारी और केदारनाथ की पूर्व विधायक श्रीमती शैलारानी रावत के नेतृत्व में केदारनाथ व बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहितों के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड से तीर्थ पुरोहितों, हक हकूक धारियों और पण्डा समाज का किसी प्रकार का अहित नहीं होने दिया जाएगा। वरिष्ठ नेता श्री मनोहर कांत ध्यानी जी को संबंधित तीर्थ पुरोहितों के पक्ष को जानकर पूरी रिपोर्ट देने का आग्रह किया गया है। राज्य सरकार सभी को सुनेगी और उनकी चिंताओं का समाधान करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कम्यूनिकेशन गैप नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार बातचीत के माध्यम से रास्ता निकालेगी। बातचीत से सभी शंकाए दूर की जाएंगी और जहां सुधार की जरूरत होगी, राज्य सरकार सुधार करेगी। बदरीनाथ मास्टर प्लान को मूर्त रूप देने से पूर्व सभी संबंधित पक्षों की भी बात सुनी जाएगी और उनकी शंकाओं का निवारण किया जाऐगा। सभी के हित यथासंभव सुरक्षित रहेंगे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने भी वार्ता के माध्यम से रास्ता निकाले जाने पर सहमति व्यक्त की।
अब कांग्रेस ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री और सरकार पर झूठ का सहारा लेने का आरोप लगाया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ चारधामों के तीर्थ पुरोहितों की खबर को प्रचारित किया जा रहा है जिससे तीर्थ पुरोहित आक्रोशित है। पूर्व विधायक शैला रानी रावत के साथ जिन लोगों को ले जाकर मुख्यमंत्री के साथ वार्ता कराई गई उनको और उस वार्ता को केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने नकार दिया है। केदारनाथ समिति के अध्यक्ष विनोद प्रसाद शुक्ल ने कहा केदारनाथ से एक भी तीर्थ पुरोहित उस बैठक में ना तो गया है ना दिख रहा है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सुजाता पॉल ने सवाल उठाया कि इस प्रकार की बैठकों को करके मुख्यमंत्री क्या साबित करना चाहते हैं। हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी पहले से ही उल्टे सीधे बयान दे रहे हैं जिसकी निंदा चारधामों के पुरोहितों ने की है और उनका पुतला भी फूंका गया है। इस तरह के कृत्य को करके शैला रानी रावत भी पुरोहितों का अपमान कर रही है। पुरोहितों का अपमान देव भूमि का अपमान है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार यह समझ ले कि देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की तीर्थ पुरोहितों की मांग का कांग्रेस समर्थन करती है इसलिए असली के तीर्थ पुरोहितों से वार्ता करी जाए और इस प्रकार के झूठे प्रचार और दिखावे से बचे सरकार।