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यूसीसी से पहले सीएम का नारी शक्ति को वंदन: आधे से ज्यादा जिलों से लेकर ब्यूरोक्रेसी की टॉप बॉस महिला अफसर, धामी राज में आधी आबादी को पूरी तवज्जो

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  • समान नागरिक संहिता- यूसीसी लागू करने से पहले प्रदेश में नौकरशाही के सर्वोच्च पद पर महिला अफसर की ताजपोशी ने दिया बड़ा संदेश
  • यूसीसी में महिला सुरक्षा, सम्मान और अधिकार को दी गई है प्राथमिकता
  • उत्तराखंड के विकास को लेकर मुख्यमंत्री धामी की कसौटी पर अनुकूल दिखती हैं नई मुख्य सचिव राधा रतूड़ी
  • जिलों में भी जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान, मुख्य विकास अधिकारी के पदों पर महिला अधिकारियों को कमान देकर मुख्यमंत्री खींच रहे लंबी लकीर

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने से पहले राज्य में पहली महिला मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सीनियर आईएएस राधा रतूड़ी को सौंपते हुए देवभूमि से मातृशक्ति सम्मान का बड़ा संदेश दिया है। मुख्यमंत्री धामी का यह निर्णय महिला सम्मान, सुरक्षा और महिला प्रधान वाले राज्य की परिकल्पना को साकार कर रहा है। खासकर नौकरशाही के सर्वोच्च पद पर राज्य में महिला अधिकारी की ताजपोशी भी यूसीसी लागू होने से पहले बड़ी उपलब्धि के रूप में देखी जा रही है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त नारी सशक्त भारत की परिकल्पना पर खरा उतर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने हाल ही में राज्य के 7 से ज्यादा जनपदों में महिला सशक्तिकरण और सम्मान को लेकर मातृ शक्ति वंदन महोत्सव में प्रतिभाग कर महिलाओं की राज्य के विकास में अहम भागीदारी का संदेश जन जन तक पहुंचाया है। यह कार्यक्रम अभी जारी हैं। इसके अलावा राज्य की महिलाओं को नौकरी-पेशे में 30 फीसद आरक्षण देकर मुख्यमंत्री धामी ने पहले ही नारी शक्ति सम्मान पर बड़ा निर्णय ले लिया था। जबकि महिला सुरक्षा, सम्मान और अधिकार को लेकर देश के सबसे बड़े कानून समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की तिथि का भी ऐलान एक दिन पहले मुख्यमंत्री कर चुके हैं।

इन बड़े निर्णयों के बाद मुख्यमंत्री धामी ने आज नौकरशाही के सबसे बड़े पद पर राज्य गठन के 23 साल बाद पहली बार मुख्य सचिव की जिम्मेदारी वरिष्ठ महिला अधिकारी आईएएस राधा रतूड़ी को सौंपी है। धामी सरकार का यह निर्णय भी महिलाओं को सशक्त और सम्मान से जुड़ा देखा जा रहा है। इसके पीछे सरकार ने दो फरवरी को यूसीसी के ड्राफ्ट आने और उस पर होने वाले फैसले को लेकर भी अपनी मंशा साफ कर दी है। गौरतलब है कि धामी सरकार ने यूसीसी कानून में महिला सम्मान, सुरक्षा और अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल किए गया है। अब यूसीसी राज्य में लागू होने जा रहा है तो इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी बड़ी है। ऐसे में राज्य सरकार ने यूसीसी कानून लागू करने से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विचारधारा पर अनुकूल बैठने, राज्य की रीति-नीति से वाकिफ महिला अफसर को नौकरशाही के सर्वोच्च पद पर स्थापित कर देवभूमि से पूरे देश में बड़ा संदेश दिया है।

राज्य के 13 जिलों में 7 महिला अफसर

उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार देखने को मिल रहा कि जिलों में डीएम, एसपी और एसएसपी के पदों पर 7 से ज्यादा महिला अफसर हैं। मुख्यमंत्री धामी ने पहले दिन से ही मातृशक्ति प्रधान उत्तराखंड में महिला अफसरों को अहम जिम्मेदारी दी हैं। इनमें राजधानी देहरादून, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, नैनीताल, बागेश्वर जैसे जिलों में डीएम या एसपी की जिम्मेदारी महिलाओं के पास हैं। जबकि सीडीओ, सीओ समेत अन्य महत्वपूर्ण विभागों के मुखिया का जिम्मा भी महिला अफसरों को सौंपा गया है। इसके पीछे धामी सरकार की मंशा है कि ठेठ पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं की समस्याओं का समाधान हो या फिर महिला सशक्तिकरण की योजनाओं को क्रियान्वित करने में महिला अफसरों से देवभूमि की मातृशक्ति को सहायता मिलेगी।

आखिर न केवल उत्तराखंड राज्य के निर्माण आंदोलन में पहाड़ की नारी शक्ति की सशक्त भागीदारी रही है बल्कि यहां के तमाम सामाजिक और राजनीतिक जनांदोलनों में भी आधी आबादी ने निर्णायक भूमिका निभाई है। इस लिहाज से महिलाओं के हित में युवा मुख्यमंत्री द्वारा एक के बाद एक लिए जा रहे फैसले लोगों को खासे प्रभावित कर रहे हैं।

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