Uttarakhand News: नेता प्रतिप़क्ष यशपाल आर्य ने कहा कि हाल के विधानसभा सत्र में जहां कांग्रेस ने सार्थक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए उपलब्ध समय और हर संसदीय प्रक्रिया का प्रयोग किया तो वहीं सरकार सदन में हर तरह से जिम्मेदारियों से भागती रही। उन्होंने कहा कि विधानसभा का सत्र दो दिन चला कर सरकार ने दिखा दिया है कि वह जनता के प्रति जबाबदेह नहीं है। उनका आरोप है कि दो दिनों सत्र चला उसमें भी सरकार ने सदन के सम्मुख आये विषयों का जबाब देने में लापरवाही की है।
नेता प्रतिपक्ष आर्य ने आरोप लगाया कि सदन को विधानसभा परिचालन नियमावली और परम्पराओं के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है। इस कारण विधायक राज्य के अधिकांश ज्वलन्त मुद्दों को सदन में नहीं उठा पा रहे हैं।
यशपाल आर्य ने कहा कि सदन में प्रश्नकाल के लिए 7 दिन मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों में बंटे रहते हैं। संबधित दिवस को ही संबंधित मंत्री या मुख्यमंत्री से उनके विभागों से संबधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा के विभिन्न सत्र साल में कई महीनों के अंतराल के बाद आहूत किए जाते हैं और यदि सत्र महज दो दिन में ही स्थगित कर दिया जाता है तो उन दिनों के प्रश्नों को फिर उठाने का अवसर कई महीनों बाद ही आयेगा।
यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखण्ड में सोमवार के दिन सालों से सत्र आहूत नहीं है। वर्तमान में सोमवार का दिन मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री के लिए तय है। जिनके पास राज्य के 40 के लगभग महत्वपूर्ण विभाग हैं। यानी सोमवार के दिन सत्र आहूत न होने के कारण विधायक मुख्यमंत्री और संसदीय कार्यमंत्री से उनके विभागों के प्रश्न ही नहीं पूछ पा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया, ‘‘उत्तराखण्ड संभवतया देश का पहला राज्य होगा जहां नेता सदन यानी मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री को सरकार विधानसभा में अपने विभागों से संबधित प्रश्नों का जबाब देने से बचा रही है।”
यशपाल आर्य ने कहा कि विपक्ष के विधायक सदन को लंबा चलाने के संबध में कई बार प्रश्न उठा चुके हैं परंतु सरकार ने कोई जबाब नहीं दिया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अब प्रदेश की जनता को भी विभिन्न माध्यमों से प्रश्न करना चाहिए कि उत्तराखण्ड की विधानसभा में सोमवार के दिन दिन कब सत्र संचालित हो पाएगा?
उन्होंने कहा कि विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के अनुसार न केेवल प्रश्नों के लिए बल्कि अन्य विधायी प्रक्रियाओं के लिए भी सदन में सप्ताह के दिन निर्धारित हैं। जब उन दिनों सदन चलेगा ही नहीं तो सरकार और विपक्ष के विधायकों द्वारा प्रस्तावित वे विधायी कार्य भी नहीं हो सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान सत्र शुक्रवार के दिन नहीं चलने के कारण राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी देने से संबधित प्राइवेट मेम्बर बिल सदन में नहीं आ पाया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हाल के सत्र में सरकार की रणनीति थी कि किसी तरह से भी दो दिन चलने वाले सदन को शोर-शराबे में उलझा कर खत्म कर दें लेकिन विपक्ष सरकार की चाल में नहीं आया। विपक्ष ने शालीनता और दृढ़ता के साथ अपने तथ्यों और तर्को को सदन में रखा। इस कारण दो दिन का अल्प समय जो सदन चलाने के लिए मिला था उसका अधिकतम सदुपयोग हो गया।
यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य की चुनी हुई विधानसभा के पहले विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि शोर-शराबा करने को आक्रामकता नहीं माना जा सकता है। जब आपके पास कम समय हो तो आपको विधायकों द्वारा जनता की समस्याओं को विधानसभा के पटल में रखने का रास्ता अपनाना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विपक्ष ने कार्यस्थगन में उत्तराखण्ड में बिगड़ती कानून-व्यवस्था और बेरोजगारी के मामले में सरकार को बुरी तरह से घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार के पास बिगड़ती कानून व्यवस्था और हर भर्ती में हो रहे घोटालों से संबधित विपक्ष के आरोपों का कोेई जबाब नहीं था। पिछले साल पूरे राज्य में आयी आपदा भी बड़ा मुद्दा रहा। आर्य ने कहा कि दो दिन के प्रश्नकाल में मंत्री विपक्ष के सवालों और तर्कों के सामने कहीं नहीं टिक पाए।