बड़ा खुलासा: करोड़ों रुपए के चिटहैरा भूमि घोटाले की आंच पूर्व मुख्यमंत्री की समधन तक! त्रिदेव रिटेल कंपनी भूमाफ़िया घोषित, FIR में यशपाल तोमर के बाद नंबर दो पर नाम

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ग्रेटर नोएडा/देहरादून: Greater Noida Chithera Land Scam follow up on THE NEWS ADDA
योगी सरकार के दादरी में हुए चिटहैरा भूमि घोटाले में बड़े एकशम ने उत्तराखंड की राजनीति और नौकरशाही के पॉवर कॉरिडोर्स में हड़कम्प मचा दिया है। हालाँकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाहर का मामला ( दूसरे राज्य का मामला) बताकर फिलहाल इस बड़े लैंड स्कैम से पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन इस लैंड स्कैम की कालिख से सूबे की सियासत और नौकरशाही कब तक बची रहेगी यह देखना दिलचस्प होगा। सीएम धामी के करप्शन मुक्त पारदर्शी सरकार के दावे का परीक्षण भी होना तय है।

अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार और प्रशासन ने रसूखदारों के आगे सरेंडर नहीं किया (जिसकी संभावना कम ही है) तो गैंगस्टर और भूमाफ़िया यशपाल तोमर के साथ लपेटे में न केवल कई बड़े नौकरशाह आएंगे बल्कि खाकी और खादी के कई सफ़ेदपोश भी बेनक़ाब हो जाएंगे।

जिस तरह से चिटहैरा लैंड स्कैम में भूमाफ़िया यशपाल तोमर को मुख्य आरोपी बनाते हुए एफआईआर में उत्तराखंड के तीन नौकरशाहों जिनमें 2 आईएएस और 1 आईपीएस के परिजनों-रिश्तेदारों के चेहरे उजागर हुए हैं, उसी एफआईआर में मास्टरमाइंड यशपाल तोमर के बाद नंबर दो पर जिस त्रिदेव प्रा०लि०मि० नरेन्द्र कुमार का नाम दर्ज है, दरअसल असलियत में इस कंपनी का नाम Tridev Retail Private Limited है और यह कंपनी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के समधी-समधन यानी उनके बड़े बेटे साकेत बहुगुणा की सास साधना राम और ससुर अनिल राम की है।


बताया जा रहा है कि साकेत के सास और ससुर दोनों ही इस कम्पनी में डायरेक्टर हैं और यह कम्पनी करीब दो ढाई दशक पुरानी है जो यूपी में रियल एस्टेट का बड़ा कारोबार करती है। कंपनी बड़े स्तर पर ज़मीनों की खरीद और बिक्री का काम करती है और इसमें नरेन्द्र कुमार को अथॉराइज सिग्नेटरी बनाया गया था। जांच में खुलासा हुआ है कि कंपनी की डायरेक्टर साधना राम ने 2013 में चिटहैरा गांव की एक महिला के साथ लैंड डील की थी जिसका एग्रीमेंट दादरी रजिस्ट्रार ऑफिस में भूमाफ़िया यशपाल तोमर और त्रिदेव रिटेल कंपनी के अथॉराइज सिग्नेटरी नरेन्द्र कुमार द्वारा किया गया।

यशपाल तोमर और साधना राम की कंपनी त्रिदेव रिटेल प्राइवेट लिमिटेड पर आरोप है कि सरगना तोमर के साथ मिलकर एक षड्यंत्र के तहत जिन पट्टों को खारिज किया जा चुका था, उनके अग्रीमेंट अपने नाम कराए गए। इसके बाद इम खारिज पट्टों को बहाल कराया गया। इन्हें संक्रमणीय घोषित किया गया और फिर अपने नाम बैनामे करवाए गए। इस पूरे षड्यंत्र को अंजाम देने में तीन साल का वक्त लगा और यह बताता है कि किस तरह से स्थानीय प्रशासनिक तंत्र से लेकर उच्च स्तर तक नौकरशाही और खादी-खाकी के गठजोड़ ने गरीबों की ज़मीनों पर कहर बरपाया।

हालाँकि इस एफआईआर में विजय बहुगुणा की समधन का नाम दर्ज नहीं है लेकिन उनकी कंपनी और अथॉराइज सिग्नेटरी नरेन्द्र कुमार पर दर्ज एफआईआर में गरीब किसानों और दलितों से जबरिया जमीन खरीदने से लेकर काग़ज़ात में फर्जीवाड़ा करने जैसे कई संगीन आरोप लगे हैं। आरोप है कि पहले ज़मीनों को लीज़ पर लेने और फिर फर्जीवाड़ा करते हुए त्रिदेव रिटेल प्राइवेट लिमिटेड और यशपाल तोमर ने ज़मीनों को हासिल कर लिया। एफआईआर में कहा गया है कि जिन्होंने विरोध किया उन्हें झूठे मुक़दमों मे फँसाकर जेलों में ठूँस दिया गया।

दावा किया जा रहा है कि त्रिदेव रिटेल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने इसी तरह से फर्जीवाड़े और यशपाल तोमर से साँठगाँठ कर करीब 80 बीघा जमीन की खरीद फ़रोख़्त की।

हालाँकि अभी तक की जाँच में यह इसटेब्लिश नहीं हो पाया है कि साकेत बहुगुणा, विजय बहुगुणा या बहुगुणा परिवार के किसी अन्य सदस्य की कंपनी में सीधे किसी तरह की हिससेदारी या भागीदारी रही है। सूत्रों ने दावा किया है कि साकेत बहुगुणा के सास-ससुर की कंपनी में न तो खुद साकेत और न ही उनकी पत्नी गौरी बहुगुणा या परिवार का कोई अन्य सदस्य डायरेक्टर या शेयर होल्डर या फिर किसी अन्य पॉजीशन में रहा और न ही कंपनी से कभी किसी तरह का कोई ट्रांजेक्शन ही किया गया। लेकिन इस लैंड स्कैम की आँच साकेत बहगुणा की सास तक पहुंच चुकी है जिसके बाद विपक्षी राजनीतिक दलों के हाथ हमलावर होने का मौका लग गया। कांग्रेस आगामी बजट सत्र में इस लैंड स्कैम को मुद्दा बनाकर भाजपा और धामी सरकार की घेराबंदी की तैयारी कर रही है।

अब गौतमबुद्धनगर पुलिस प्रशासन के लिए चिटहैरा लैंड स्कैम हर गुज़रते दिन एक कठिन चुनौती बनता जा रहा है क्योंकि आए दिन यशपाल तोमर से रसूखदारों की साँठगाँठ के नए नए किस्से और किरदार उजागर हो रहे हैं।

जाहिर है भूमाफ़िया यशपाल तोमर ने नौकरशाही के साथ साथ खादी और खाकी में पैठ बनाकर ज़मीनों की अवैध ख़रीद फ़रोख़्त का जो काला साम्राज्य खड़ा किया था, अब उसकी परतें उतर रही हैं तो बड़े बड़ों के दामन पर दाग लगते नजर आ रहे।
सवाल है कि क्या योगी सरकार जांच को अंजाम तक पहुँचाएँगी? बड़ा सवाल यह भी कि धामी सरकार क्या स्टैंड अपनाएगी? ऐसे ही मूक बनकर योगी सरकार की सख्ती से भूमाफ़िया यशपाल तोमर और उनके साथ गरीबों की जमीन पर डाका डालने वालों पर एक्शन का तमाशा देखेगी या फिर जिनके दामन पर दाग़दार होने के आरोप लगे हैं, जांच कराकर उनकी क़लई खोलने की हिम्मत दिखाएगी


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