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गोल्डन कार्ड की ख़ामियों को 15 दिन में दूर करे सरकार, अन्यथा वेतन से अंशदान कटौती नहीं होने देंगे: संघ

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देहरादून

शुक्रवार को उत्तराखंड सचिवालय संघ ने कोविड संक्रमण रोकने में प्रभावी भूमिका और गोल्डन कार्ड की ख़ामियों को लेकर खुली बैठक बुलाई. सचिवालय संघ ने आरोप लगाया है कि तीन महीने तक वेतन से अंशदान कटाने के बावजूद आज कोरोना महामारी में संकट के समय गोल्डन कार्ड सफ़ेद हाथी साबित हो रहा है. संघ ने आरोप लगाया है कि सरकार की गोल्डन कार्ड योजना का लाभ न सरकारी कार्मिकों को मिल पा रहा और ना ही पेंशनर्स को. कोविड काल में ये कार्ड फ़्लॉप साबित हो चुका है जबकि कार्मिकों से तीन माह में 45 करोड़ रु लिए जा चुके हैं और सालभर में 180 करोड़ रु लिए जाएंगे.


सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी


सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि गोल्डन कार्ड की ख़ामी के चलते कार्तिकों और उनके आश्रितों को जानमाल की क्षति होती है तो ज़िम्मेदारी राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्वास्थ्य महकमे की होगी.
जोशी ने कहा कि सचिवालय संघ द्वारा उठाये कदम का मैसेज नीचे तक जाता है और अगर अगले पन्द्रह कार्य दिवसों में गोल्डन कार्ड की ख़ामियाँ दूर नहीं होती हैं तो कार्मिक मजबूरन इनका सरेंडर कर देंगे. साथ ही उसके बाद वेतन में अंशदान कटौती भी स्वीकार नहीं होगी.
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि प्रतिमाह 15 करोड़ स्वास्थ्य प्राधिकरण को मिल रहे और तीन महीने में 45 करोड़ देकर भी इस संकट की घड़ी में कार्मिक ठगा सा महसूस कर रहे हैं.
संघ ने मुख्यमंत्री तीरथ रावत से कार्मिकों के हितों की रक्षा की मांग की है.

वहीं सचिवालय संघ ने कोविड संक्रमण को लेकर 20-25 बेड के ‘सचिवालय कोविड सेंटर’ बनाने की मांग की है.

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