ऑक्सीजन की कमी से लोगों का मरना नरसंहार, आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डालकर बैठ सकते हम नहीं!. दो हाईकोर्ट बरसे, रूड़की घटना दब जाएगी या नैनीताल HC लेगा संज्ञान!

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देहरादून: कोरोना की दूसरी लहर में सबसे बड़ा संकट ऑक्सीजन का बना हुआ है. ऑक्सीजन क़िल्लत से मरीजों की जान पर बन आ रही है. आए दिन ऑक्सीजन की क़िल्लत से मरीजों के दम तोड़ने की खबरें दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक सुनने को मिल रही हैं . यही वजह है कि देशभर की अदालतें केन्द्र से लेकर राज्यों सरकारों पर बरस रही हैं लेकिन हालात सुधरते दिख नहीं रही. मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार पर ऑक्सीजन कमी को लेकर सख्त टिप्पणी की. इलाहाबाद HC ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति न होने से कोरोना मरीज़ों का दम तोड़ देना अपराध है और ये किसी नरसंहार से कम नहीं. अदालत ने कहा कि विज्ञान इतनी प्रगति कर चुका कि आज ह्रदय प्रत्यारोपण से लेकर ब्रेन सर्जरी एक वास्तविकता है लेकिन ऑक्सीजन के अभाव में लोगों को मरने दिया जा रहा.

इसी तरह की सख़्त टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केन्द्र सरकार को फटकारा. दिल्ली HC ने केन्द्र सरकार से कहा कि आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डालकक बैठे रह सकते हैं लेकिन हम नहीं. HC ने केन्द्र को नोटिस जारी कर पूछा है कि दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति करने का अदालत ने जो आदेश दिया था उसका पालन न करने को क्यों न आपके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ और मेरठ के डीएम को ऐसी खबरों का संज्ञान लेकर शुक्रवार तक जांच पड़ताल की रिपोर्ट ऑनलाइन हाज़िर होकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने कोरोना मामलों और क्वारेंटाइन सेंटरों के हालात पर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.अदालत ने मेरठ मेडिकल कॉलेज के नए ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में रविवार को पांच मरीजों की मौत और लखनऊ के सन हॉस्पिटल से जुड़ी खबरों का संज्ञान लिया. HC ने मेरठ के निजी अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ने की खबरों का भी नोटिस लिया.

HC ने कहा कि कोरोना मरीजों को दम तोड़ते देखकर मन दुखी है और ये जिन लोगों पर ज़िम्मेदारी थी उन लोगों द्वारा किए गए नरसंहार सरीखा है. अदालत ने पूछा कि हम अपने लोगों को ऐसे कैसे मरने दे सकते हैं.

सोमवार देर रात्रि रुड़की में भी ऑक्सीजन क़िल्लत के चलते पाँच मरीज़ों की जान चली गई लेकिन इस मामले की लीपापोती की कोशिशें ज़्यादा दिख रही जाँच कराकर दोषियों को दंडित करने की बजाय. सवाल है कि क्या नैनीताल हाईकोर्ट ऑक्सीजन की कमी से हुए इस नरसंहार अपराध पर संज्ञान लेगा!


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