दिल्ली: केन्द्र सरकार ने क्यों वैक्सीन नीति में बदलाव किया इसका एक कारण ये भी रहा कि राज्य वैक्सीन का पूरा इस्तेमाल समय पर करें लेकिन प्राइवेट अस्पतालों पर कैसे नजर रखी जाए कि वैक्सीन का स्टॉक न तो होल्ड रहे और ना ही बरबादी हो, इसका जवाब अभी भी किसी के पास नहीं है। ये चिन्ता इसलिए की जा रही क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वैक्सीन की भारी क़िल्लत के बीच प्राइवेट अस्पतालों में इसके स्टॉक दबाकर रखा गया। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी डेटा के अनुसार मई में प्राइवेट अस्पतालों ने अपने वैक्सीन कोटे में से महज 17 फीसदी खुराक ही इस्तेमाल की।
स्वास्थ्य मंत्रालय की वैक्सीन को लेकर चार जून को आई रिपोर्ट बताती है क्म ई में देश में वैक्सीन की कुल 7.4 करोड़ डोज मुहैया कराई गई थी जिसमें 1.85 करोड़ खुराक प्राइवेट अस्पतालों के लिए थी। प्राइवेट अस्पतालों ने इसमें से 1 करोड़ 29 लाख डोज पर्चेज की लेकिन इस्तेमाल उसमें से 22 लाख डोज का ही किया और मई में 1 करोड़ 7 लाख खुराक का स्टॉक इस्तेमाल ही नहीं किया गया। ये अपने आप में कितना गंभीर मसला है कि एक तरफ वैक्सीन संकट से देश जूझता रहा और निजी अस्पतालों के स्टॉक की 73 फीसदी दवा इस्तेमाल ही नहीं हो पाई।
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार राज्यों को 25.87 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज दी गईं जिसमें से 24.76 करोड़ टीके लग चुके हैं। केन्द्र सरकार ने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पास अब भी टीके की 1 करोड़ 12 लाख खुराक मौजूद हैं।
सवाल उठता है कि आखिर मई में जब देशभर में वैक्सीन क़िल्लत बनी रही तब निजी अस्पतालों द्वारा एक करोड़ से ज्यादा वैक्सीन स्टॉक का इस्तेमाल न कर पाना गंभीर सवाल खड़े करता है।