देहरादून: उत्तराखंड की तीरथ सरकार के हाल भी अजब-गजब हैं! सरकार अपने फैसले अब तक 24 घंटे में पलट रही थी लेकिन सोमवार को उसने फैसला लेकर चंद घंटों में ही पलटी मार दी। हुआ यूँ कि शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने 22 जून तक कोविड कर्फ़्यू बढ़ाने और क्या क्या रियायतें दी गई हैं इसका वीडियो संदेश जारी किया।
इस वाडियोे संदेश में साफ साफ कहा गया था कि चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के लोगों को 15 जून से अपने जिलों में स्थित धामों में दर्शन करने की इजाज़त दी जा रही है। लेकिन शाम को जारी हुई SOP में चार धामों के दर्शन की इजाजत नहीं दी गई। जबकि शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री उनियाल ने नई एसओपी और कोविड कर्फ़्यू को लेकर जारी अपने वीडियो संदेश में साफ ऐलान किया था कि चमोली जिले के लोग बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग के केदारनाथ और उत्तरकाशी जिले के लोग गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन कर सकेंगे। धामों के दर्शन के लिए आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य की गई थी। आप खुद सुन लें सरकार ने पहले क्या कहा था।
हालाँकि शाम को जारी एसओपी में तीरथ सरकार अपने ही निर्णय से पलट गई। इस पर अब शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल का कहना है कि 16 जून को चारधाम यात्रा को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है लिहाजा इसके बाद ही चारधाम यात्रा शुरू करने पर कोई फैसला लिया जाएगा।
अब सवाल ये है कि जब सरकार के अधिकारियों और देवस्थानम बोर्ड ने यात्रा शुरू करने का फीडबैक सरकार को दिया जिस पर सरकार ने सुबह निर्णय लिया फिर पलटी कैसे मार डाली? क्या ये सरकार के होमवर्क पर सवाल खड़े नहीं करता है? आखिर सरकार पहले ये जानती नहीं थी कि हाईकोर्ट में चारधाम यात्रा को लेकर देवस्थानम बोर्ड ने जो SOP बनाई थी उसी पर जमकर फटकार झेलनी पड़ी थी और पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर से लेकर रविनाथ रमण को चारों धामों में कोविड प्रोटोकॉल के इंतज़ामात देखने को दौड़ना पड़ा है। अब फिर सरकार की फजीहत हो गई है।