नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट में जिस तरह से आए दिन अधिकारी सरकार की फजीहत करा रहे हैं, इससे आम आदमी में सरकार को लेकर गलत मैसेज जा ही रही है, सिस्टम के फेल्योर का अहसास भी हो जाता है। ताजा मामला रोडवेज कर्मचारियों के पांच महीने से अटके वेतन का है।
पिछली तारीख में सरकार से रोडवेज को एक फूटी कौड़ी न मिलने का सच बताने पर एमडी पद से आईएएस आशीष चौहान को हटा दिया गया था, लेकिन शुक्रवार को फिर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। आलम ये है कि रोडवेज कर्मचारियों को पांच महीने से रुका वेतन जल्द से जल्द कैसे मिले इसे लेकर हाईकोर्ट ने शनिवार को छुट्टी के बावजूद स्पेशल कोर्ट बिठा दी है। कोर्ट ने शनिवार को मुख्य सचिव, वित्त सचिव, परिवहन सचिव और एमडी रोडवेज को वर्चुअली हाज़िर होने को कहा है।
शुक्रवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक वर्मा की बेंच में रोडवेज कर्मियों के वेतन के मसले पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार का तरफ से कहा गया कि वह रोडवेज कर्मचारियों को 23 करोड़ रु का वेतन देना चाहती है लेकिन सीएम रिलीफ़ फंड से निगम को 20 करोड़ रु नहीं दिए जा सकते हैं। 14 जून को रोडवेज सचिव की बैठक में निगम को बदहाली से उबारने पर मंथन होगा।
इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एक तरफ सरकार रुपए देने की इच्छा जताती है और दूसरी तरफ निगम से प्रस्ताव नहीं आने की बात कह रही है। आखिर देहरादून में बैठे परिवहन सचिव वहीं बैठे वित्त सचिव तक प्रस्ताव क्यों नहीं पहुँचा पा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों को पांच माह से फरवरी से जून तक वेतन नहीं मिला है और सरकार निगम को मदद के दावे कर रही है। इसी पर ख़फ़ा होकर कोर्ट ने शनिवार को सीएस ओमप्रकाश, वित्त सचिव अमित नेगी, रोडवेज सचिव डॉ रंजीत सिन्हा और रोडवेज एमडी अभिषेक रुहेला को शनिवार को छुट्टी के बावजूद कोर्ट बिठाकर वर्चुअली तलब कर लिया है।