देहरादून: डबल इंजन के बावजूद सरकार का चेहरा बदलने को मजबूर बीजेपी ने बाइस बैटल को लेकर पुष्कर सिंह धामी के ज़रिए बड़ा दांव खेला है। दो बार के विधायक धामी युवा चेहरा हैं और वे न कभी मंत्री-राज्यमंत्री रहे हैं। सरकार में कामकाज का किसी भी तरह का तजुर्बा न होने के बावजूद पार्टी ने उनको मुख्यमंत्री की रेस में आगे रहे क़द्दावर सतपाल महाराज और वरिष्ठ विधायकों में हरक सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल, यशपाल आर्य, बंशीधर भगत, सुबोध उनियाल, अरविंद पांडे पर तरजीह देकर साफ संदेश दे दिया है। बीजेपी ने चुफाल के मुकाबले कुमाऊं के युवा ठाकुर चेहरे को अहमियत दी है ताकि कुमाऊं के पर्वतीय अंचल के साथ साथ ऊधमसिंहनगर जैसे तराई वाले क्षेत्र को साधा जा सके। इस समीकरण में सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत सहित दूसरे नेता कहीं भी फ़िट नहीं बैठ रहे थे और बीजेपी को भविष्य की राजनीतिक लकीर भी खींचनी थी जिसमें महज कांग्रेसी गोत्र के नेताओं पर निर्भर नहीं रहा जा सकता था।
सूत्रों ने बड़ा खुलासा किया है कि बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने अपने दो देवभूमि दौरों के दौरान तमाम समीकरणों की पड़ताल कर कुमाऊं की उपेक्षा और युवाओं को तवज्जो न मिलने का फीडबैक ऊपर दिया। उस पर बैकडोर से भगतदा की धामी के लिए धारदार पैरवी और गढ़वाल में पौड़ी के पहलवानों की नूराकुश्ती बीजेपी नेतृत्व के लिए फैसला लेना आसान कर गई।
अब बात उस हल्ले की जिसके तहत कहा जा रहा कि सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल और बिशन सिंह चुफाल जैसे वरिष्ठ विधायक नाराज हैं और शायद ही धामी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनना चाहें। सवाल कांग्रेस जमाने का रहा होता तो बात हज़म हो जाती कि वे धारी देवी की सौंगध खाकर मंत्रीपद को जूते की नोंक पर रखते हुए भी कांग्रेस में बने रहे और बाद में मंत्री भी बन बैठे। सतपाल महाराज की तुनक मिज़ाजी भी कांग्रेस में ही चल सकती थी बीजेपी अनुशासन को लेकर खासी सख्त रहती है और मोदी-शाह काल में तो वैसे भी विरोध दर्ज कराकर पार्टी में बने रहने की संभावना न्यून ही समझिए।
ऐसे में नाराज सतपाल महाराज को गृहमंत्री अमित शाह द्वारा मनाने और दिल्ली बुलाने की खबरें बेमानी हैं क्योंकि मुख्यमंत्री का फैसला हो चुका है। हरक सिंह रावत और बिशन सिंह चुफाल की बातचीत प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से हुई है और प्रदेश के स्तर पर नाराजगी दूर करने की दवा कहां मिलती है भला! The News Adda से बातचीत में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा है कि पार्टी में कहीं कोई नाराजगी नहीं है विधायकों में और ‘ऑल इज वेल’ है
जाहिर है कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य और सुबोध उनियाल के लिए धामी की ताजपोशी के बाद असहज स्थिति जरूर बन गई है कि उनको अपने से काफी जूनियर धामी की टीम का हिस्सा बनकर काम करना होगा। लेकिन बीजेपी में नाराजगी दर्ज कराने की गुंजाइश बहुत कम और ऊपर से आए निर्देशों के पालन का दस्तूर ज्यादा चलता है। उम्मीद है हाईकमान हंटर के चलते शाम 5:30 बजे तमाम दिग्गज बारी-बारी धामी के बाद मंत्रीपद की शपथ लेकर मुस्कुराते फोटो फ़्रेम में नजर आएंगे।