उत्तरकाशी: 18 जुलाई को उतरकाशी जिले में बादल फटने से आई आपदा के बाद प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार को आपदा ग्रसित क्षेत्रों का दौरा करने पहुँचे। लेकिन स्थानीय पार्टी पाॅलिटिक्स के चक्कर में जिस गांव में बादल फटा उस गांव के आपदा पीड़ित मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाये। 18 जुलाई की रात जिस निराकोट गांव में बादल फटा था वहां सोशल मीडिया में खबरें प्रचारित होने के बाद प्रशासन ठीक 36 घण्टे में पहुंचा था क्योंकि गांव जिला मुख्यालय से लगभग 5 किमी पैदल दूरी पर स्थित है।
वहीं, मुख्यमंत्री धामी के बुधवार के उतरकाशी दौरे में भले ही इस गांव का भ्रमण नहीं था लेकिन निराकोट, जसपुर, सिल्याण गांव के जनप्रतिनिधि और ग्रामीण मिलने के लिए आये थे तो स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें मुख्यमंत्री से मिलवाना उचित नही समझा।
ग्राम प्रधान निराकोट जितेन्द्र गुंसाई ने बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीण मुख्यमत्री से मिलने के लिए लोक निर्माण विभाग के अतिथि गृह में करीब 2 घण्टे खड़े रहे जहां उन्हें निराकोट गांव में आपदा के बाद की वास्तविक स्थितियां और पैदल दूरी के कारण शासन-प्रशासन की गैर-जिम्मेदाराना कार्यवाही से मुखातिब करवाना था लेकिन बीजेपी के पार्टी कार्यकर्ताओं ने अन्दरूनी राजनीति के चक्कर में शासन-प्रशासन से मिलकर वहां पर मुख्यमंत्री को गुमराह किया और ग्रामीणों से बातचीत नही करने दी। ऐसे में जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को बिना बातचीत के निराश लौटना पड़ा।
क्या है उतरकाशी की डर्टी पाॅलिटिक्स
दरअसल उतरकाशी जिले की गंगोत्री सीट से विधायक गोपाल रावत के आकस्मिक निधन के बाद स्थानीय बीजेपी के नेताओं में भविष्य की राजनीति के लिए प्रतिस्पर्धा चल रही है। पार्टी के पदाधिकारी आपसी प्रतिस्पर्धा में एक-दूसरे के क्षेत्रीय प्रभाव को कम करने में उतारू है जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। नव-नियुक्त मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए गढ़वाल के पर्वतीय जिलों की स्थानीय राजनीति को इतनी जल्दी समझना सम्भव नही है। ऐसे में स्थानीय पार्टी प्रतिनिधियों का दायित्व बनता है कि वे उन्हें धरातलीय स्थितियों से रूबरू करवायें लेकिन उतरकाशी की गंगोत्री सीट पर बीजेपी के नेताओं की आपसी प्रतिस्पर्धा इस तरह चल रही है कि हर कोई अपने नम्बर बढ़ाने के लिए क्षेत्र में डर्टी पाॅलिटिक्स खेलने पर उतारू है।