देहरादून: पहाड़ पॉलिटिक्स में कांग्रेस को दो मोर्चों पर एक साथ जंग लड़नी पड़ रही। एक जंग, राजनीतिक विरोधी दलों से और दूसरी जंग चुनाव से पहले पार्टी नेता आपस में लड़कर हार-जीत तय करने के लिए लड़ रहे। परसों पार्टी ने चुनाव-2022 के लिए टीम उत्तराखंड का ऐलान किया और कल सीएलपी लीडर प्रीतम ने कहा सामूहिक नेतृत्व में लड़ेंगे चुनाव, तो अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कह दिया कैंपेन कमेटी के चेयरमैन हरदा चुनावी चेहरा होंगे और उनके नेतृत्व में बाइस बैटल लड़ेंगे। हालात टकराव के बने तो बीच-बचाव में प्रभारी देवेन्द्र यादव को आकर कहना पड़ा कि सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे। जाहिर है यह हरदा कैंप के लिए किसी झटके से कम नहीं।
अब हरदा और प्रीतम कैंपों में कलह कुरुक्षेत्र कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत और धारचूला विधायक हरीश धामी मेँ छिड़ गया है। चुनावी टीमों के ऐलान के साथ ही पार्टी छोड़ने की धमकी देने वाले विधायक धामी ने छोटे राज्य में एक अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के सोनिया गांधी और राहुल गांधी के फैसले पर एतराज जताया है। इसके बाद हरीश धामी ने ये भी सलाह दी है कि कि अध्यक्षों को चुनाव न लड़कर दूसरों को लड़ाना चाहिए, तभी अध्यक्ष बनने का कर्तव्य पूरा होगा।
धामी ने ये सलाह देकर किस पर धावा बोला वो भी समझिए
विधायक हरीश धामी की सलाह न प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के लिए है, वे तो श्रीनगर से लड़ेंगे ही, न प्रो जीतराम वे भी थराली से लड़ेंगे और न ही खटीमा से सीएम धामी का सामने करने वाले भुवन कापड़ी या रुद्रपुर छोड़कर किच्छा जहां से हरदा हारे थे, वहाँ से ताल ठोकने कि तैयारी में दिख रहे तिलक राज बेहड़ के लिए है। दरअसल विधायक हरीश धामी की ये सलाह तो कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत के लिए बतौर ए खास थी। रणजीत रावत रामनगर से चुनाव लड़ेंगे और वहाँ हरदा कैंप के एक खिलाड़ी भी ताल ठोक रहे।
ज्ञात हो
सत्ता में हरदा के ‘हनुमान’ रहे रणजीत रावत इस वक्त सियासी पिच पर विरोधी नंबर वन हैं। लिहाजा कार्यकारी अध्यक्षों की लिस्ट में चौथे नंबर पर रणजीत के नाम ने हरदा कैंप का ज़ायक़ा बिगाड़ा बल्कि आगे भी रणभूमि बनती नजर आएगी।
अब जब निशाना जहां था तब जवाब भी वहीं से आना था! रणजीत रावत ने कहा कि चुनावी टीम और 10 कमेटियों में जितने भी नेता-पदाधिकारी 10 साल चुनाव न लड़ने की हामी भरें तो पहला शपथपत्र वे भरेंगे।
जाहिर है 27 जुलाई को हरदा नए संगठन सूबेदार गोदियाल संग पहुंच रहे हैं देहरादून पूरे गाजे-बाजे के साथ फिर देखना होगा कौन कहां खड़ा दिखता है कौन पोस्टर में रहता है और कौन नहीं! वैसे हरदा ने अपने सिपहसालारों को पोस्टरबाजी में धीरज धरने की नसीहत जरूर दी है।