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‘बातें कम काम ज्यादा’ के मूलमंत्र पर चल रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर सचिवालय संघ ने रखी 14 सूत्रीय माँगें और दिए 22 सूत्रीय सुझाव, सीएम ने कहा जल्द होगा एक्शन

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दीपक जोशी, अध्यक्ष, सचिवालय संघ

देहरादून: सचिवालय संघ की लम्बित मांगों के सम्बन्ध में सोमवार को सचिवालय संघ की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से प्रथम अधिकारिक बैठक हुई। संघ की ओर से मुख्यमंत्री धामी को प्रस्तुत 14 सूत्रीय लम्बित मांगों के साथ-साथ पृथक से सचिवालय में व्याप्त व्यवहारिक समस्याओं एवं सचिवालय कार्य प्रणाली के सुधार तथा सचिवालय सेवा संवर्ग को सुदृढ़ किये जाने हेतु 22 सूत्रीय सुझाव पत्र भी हस्तगत किया गया।

इन मांगों एवं सुझावों पर संघ की ओर से वार्ता बैठक के दौरान सर्वप्रथम सचिवालय कार्मिकों सहित प्रदेश के सभी कार्मिक वर्ग की ज्वलन्त पीड़ा को मुख्यमंत्री के समक्ष रखते हुये स्व0 प्रकाश पन्त, तत्कालीन वित्त मंत्री के साथ सचिवालय संघ के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में 31 जनवरी 2019 को हुए लिखित समझौते की याद दिलाई। इस समझौते के तहत
सभी कार्मिकों की कॉंमन मांगों-एम0ए0सी0पी0 के स्थान पर ए0सी0पी0 की पूर्व व्यवस्था लागू किया जाना, शिथिलीकरण नियमावली, 2010 को पुनः प्रभावी किया जाना, पुरानी पेंशन की बहाली हेतु राज्य सरकार का संकल्प पत्र केन्द्र सरकार को भेजा जाना, पति/पत्नी के सेवारत रहने पर दोनो कार्मिकों को मकान किराया भत्ता अनुमन्य किये जाने सम्बन्धी कॉमन मांगों के साथ-साथ वर्तमान में ज्वलन्त समस्या के रूप में उत्पन्न गोल्डन कार्ड की खामियों को दुरस्त कर सी0जी0एच0एस0 की दरों पर योजना को संचालित किये जाने का शासनादेश जल्द निर्गत किये जाने, केन्द्र सरकार द्वारा घोषित 11 प्रतिशत महॅगाई भत्ते की अनुमन्यता एरियर सहित तत्काल किये जाने की मांगों को प्रमुखता से सभी तथ्यात्मक बिन्दुओं के साथ रखा गया। संघ द्वारा बताया गया कि यह मांगें मात्र वित्त विभाग या कार्मिक विभाग द्वारा अव्यवस्थित की गयी हैं, जिसे व्यवस्थित किया जाना सचिवालय सहित प्रदेश कार्मिक वर्ग के हित में है।

सचिवालय संघ द्वारा मुख्यमंत्री के समक्ष सचिवालय परिसर की मूलभूत सुविधाओं के अभाव का मुद्दा गम्भीरता से उठाया गया है। यह बताया गया कि किस प्रकार सचिवालय कार्मिक टीन सैड में गर्मी में तपकर बैठने को मजबूर हैं, बैठने हेतु पर्याप्त स्थान, फर्नीचर, स्टेशनरी एवं रोज मर्रा के आवश्यक सामग्री का अभाव किस कदर हावी है, सचिवालय कार्मिकों के बच्चों हेतु क्रेच सेन्टर की चरमरायी व्यवस्था सचिवालय प्रशासन विभाग की कार्यप्रणाली का जीता जागता उदाहरण है।

सचिवालय संघ द्वारा सचिवालय सेवा संवर्ग की जायज कठिनाईयों एवं मांगों पर विस्तृत रूप से अपनी बातें रखी गयी तथा बताया गया कि सचिवालय सेवा संवर्ग के अधिकारियों/कर्मचारियों की जायज मांगों पर सक्षम अधिकारियों पर हीलाहवाली की जा रही है, स्व0 प्रकाश पन्त के साथ हुए समझौते के अनुसार अब तक सचिवालय भत्ते की दर को मूल वेतन का 10 प्रतिशत किया जाना अवशेष है, साथ ही सचिवालय सेवा के अधिकारियों को प्रशासकीय विभागों के सचिव आदि द्वारा उन्हें अनुमन्य कार्यावंटन से न्यून कार्य दिया जा रहा है, इसका पुरजोर विरोध संघ द्वारा मुख्यमंत्री जी के समक्ष किया गया।

साथ ही संघ की ओर से यह भी कहा गया कि सचिवालय में आई0ए0एस0 सेवा को छोड़कर अन्य सेवाओं यथा भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वन सेवा, प्रान्तीय सिविल सेवा, वित्त सेवा आदि को सचिवालय में पद चिन्हित करते हुए धारित वेतनमान के अनुरूप ही सचिवालय में पदनाम दिया जाय, ऐसे कम वेतनमान धारण करने वाले अधिकारियों को सीधे अपर सचिव न बनाया जाय तथा उन्हें उनसे सम्बन्धित सेवा विभाग का ही कार्य दिया जाय। सचिवालय संघ की ओर से अपनी मांगों में प्रमुखता से ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को सुचारू रूप से क्रियाशील किये जाने हेतु सचिवालय सेवा संवर्ग के आवश्यक पदों का सृजन किये जाने की मांग की है। साथ ही सचिवालय सेवा संवर्ग में अतिकाल वेतनमान ग्रेड वेतन 10000 के 02 पदों को अतिरिक्त रूप से सृजित किये जाने, इसी प्रकार निजी सचिव संवर्ग मे भी 10000 का 01 पद तथा लेखा संवर्ग में अपर सचिव का 01 पद सृजित किये जाने की मांग रखी गयी है।
सचिवालय संघ की महत्वपूर्ण मांगों में वर्ष 2004 में लोक सेवा आयोग से चयनित तत्कालीन समीक्षा अधिकारियों के दिनांक 24.01.2007 से 25.08.2008 तक की कार्यवधि को प्रभारी के स्थान पर स्थानापन्न काल घोषित किये जाने, सचिवालय में पदोन्नति में आ रहे ठहराव विशेषकर समीक्षा अधिकारी से अनुभाग अधिकारी की वर्तमान स्थिति को देखते हुये 05 साल में सचिवालय के समीक्षा अधिकारी एवं अपर निजी सचिव के पदधारकों को 5400 की अनुमन्यता, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी व कम्प्यूटर सहायक के पदों पर पदोन्नति हेतु अर्हकारी सेवावधि को शिथिल करने, राज्य सम्पत्ति वाहन चालकों को सचिवालय प्रशासन विभाग में आमेलित करने, सचिवालय सुरक्षा संवर्ग की पैरिटी पुलिस विभाग से हटाकर सचिवालय सेवा के अनुरूप करने, सचिवालय सहायकों को तृतीय ए0सी0पी0 के रूप में ग्रेड वेतन 4600 की अनुमन्यता किये जाने, सचिवालय के अनुभाग में आर0सी0 का 01 पद सृजित किये जाने, लेखा संवर्ग में कार्मिकों की कमी को देखते हुये समीक्षा अधिकारी संवर्ग के कार्मिकों का संवर्ग परिवर्तन, सचिवालय मे निगम/स्वायतशासी निकाय से संविलियनित कार्मिको की पूर्व सेवाओं को पेन्शन एवं ग्रेच्यूटी के लिए वर्तमान सेवा में जोडे जाने तथा सचिवालय सेवा के अस्थानान्तरणीय होने के कारण सचिवालय सेवा के कार्मिकों की दम्पतियों को स्थानान्तरण नीति में जनपद देहरादून में नियुक्त किये जाने हेतु प्रथम वरीयता दिये जाने की मांगे प्रमुखता एवं जोश खरोश के साथ रखी गयी हैं।

इन मांगों को संघ द्वारा वार्ता बैठक में प्रस्तुत करते हुये संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा चिन्तन मनन के साथ मांगों और सुझावों को सुना गया तथा स्पष्ट रूप से यह कहा गया कि सचिवालय के कार्मिक राज्य का मस्तिष्क और हृदय के समान होते हैं, जो भी सुझाव और व्यवहारिक समस्याऐं व मांगों को आज दिया गया है, उन सभी पर गहनता से विचार किया जायेगा। किसी वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता में सचिवालय संघ के साथ सचिवालय प्रशासन, कार्मिक, वित्त, न्याय के अधिकारियों की अधिकारिक बैठक जल्द से जल्द करने का आश्वासन संघ को दिया गया। साथ ही इस सम्बन्ध में बैठक में उपस्थित अपर प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगोली, संयुक्त सचिव, मुख्यमंत्री संजय सिंह टोलिया को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं।

संघ की ओर से मुख्यमंत्री जी को दिये गये सुझावों के परिप्रेक्ष्य में बताया गया है कि यह सभी सुझाव सचिवालय कार्मिकों की मूलभूत आवश्यकताओं एवं सचिवालय कार्य प्रणाली के त्वरित सुधारीकरण तथा पत्रावली के मूवमेन्ट में तेजी लाये जाने हेतु वर्तमान में लडखडायी व्यवस्था को दुरूस्त किये जाने हेतु कारगर होंगे, इस पर अमल कराये जाने का अनुरोध सचिवालय संघ के अध्यक्ष द्वारा अपनी कार्यकारिणी उपाध्यक्ष सुनील लखेडा, महासचिव विमल जोशी, जे0पी0 मैखुरी, देवेन्द्र रावत, अनिल प्रकाश उनियाल, लालमणि जोशी, किशन असवाल, उमेश कुमार, सन्दीप बिष्ट आदि के साथ मुख्यमंत्री एव उपस्थित अधिकारियों से किया गया।

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