दिल्ली: कोरोना का तीसरी ने भारत में दस्तक दे दी है और उसके शुरूआती लक्षण भी मिलने लगे हैं। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर यह दावा किया है ICMR एक्सपर्ट डॉ समिरन पांडा ( Dr. Samiran Panda) ने। डॉ पांडा ने कहा ने कहा है कि तीसरी लहर के शुरुआती संकेत भी उन राज्यों में मिलने लगे हैं जहां कोरोना की दूसरी लहर का ज्यादा असर नहीं देखा गया। डॉ पांडा ICMR के एपिडेमोलॉजी एंड कम्यूनिकेबल डिजीजेज ( Epidemiology & Communicable Diseases) के प्रमुख हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में डॉ पांडा ने कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के अनुभव से सीख लेकर कई राज्यों ने पहले से ही कड़ी पाबंदियाँ लागू रखी जिसगे चलते कोरोना की तीसरी लहर का बहुत ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है।
सीरो सर्वे से साबित बड़ों के मुकाबले बच्चों में संक्रमण आधा, स्लो फ़ेज़ में स्कूल खुल सकते
डॉ. पांडा ने बच्चों पर कोरोना के असर को लेकर चिंताओं के बीच कहा है कि चौथे नेशनल सीरो सर्वे में पता चल चुका कि बड़ों के मुकाबले महज 50 फीसदी बच्चे ही कोरोना की चपेट में आए। लिहाजा बच्चों को लेकर अधिक टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। ICMR एक्सपर्ट ने कहा कि जिन राज्यों ने कड़े प्रतिबंध और 18प्लस के अधिकाधिक लोगों को वैक्सीन लगवाकर महामारी को क़ाबू कर लिया है, वहां धीरे-धीरे ही सही स्कूल खोल सकते हैं।
चौकन्ना रहना तीसरी लहर के कहर से बचा रहा
ICMR के एपिडेमोलॉजी एंड कम्यूनिकेबल डिजीजेज प्रमुख डॉ. समिरन पांडा ने कहा है कि एहतियात बरतने का नतीजा है कि तीसरी लहर की शुरूआत हो चुकी है लेकिन हालात भयावह नहीं हो सके। डॉ पांडा ने कहा कि केरल और महाराष्ट्र में कोरोना के मामले पहले से ही बढ़े हुए हैं और इन राज्यों में काफी एहतियात भी बरता जा रहा है। साथ ही केरल, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के हालात देखकर दूसरे राज्य भी चौकन्ना रहे और कोरोना कर्फ़्यू या लॉकडाउन के ज़रिए पाबंदियों में ज्यादा छूट देने से परहेज़ किया। इसका फायदा यह रहा कि तीसरी लहर की शुरुआत होने के बावजूद हालात बहुत ज्यादा बिगड़े नहीं हैं लेकिन आगे भी सावधान रहने की सख्त दरकार है।