दिल्ली/लखनऊ: एक तरह केन्द्र की मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के दावे कर रही, तो यूपी की योगी सरकार किसानों को फ़सलों के उचित दाम से लेकर समय पर खरीदी का दम पर रही लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट नजर आ रही है। यह आरोप न विपक्ष लगा रहा और न ही आंदोलित किसान संगठनों की तरह से ऐसा कहा गया है। दरअसल यूपी के एक किसान का क़िस्सा सामने रखकर यह गंभीर प्रश्न तो केन्द्र-यूपी की डबल इंजन बीजेपी सरकार पार्टी पीलीभीत से पार्टी सांसद वरुण गांधी लगा रहे हैं। वरुण गांधी लगातार खेती और किसानों के मुद्दे पर केन्द्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
ताजा मामला वरुण गांधी के एक ट्विट से जुड़ा है जिसमें वे मौजूदा कृषि व्यवस्था और कृषि नीति को लेकर अपनी ही पार्टी की दोनों सरकारों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने एक वीडियो शेयर करते हुए ट्विट किया है कि उत्तरप्रदेश में धान खरीदी के सरकारी दावों के उलट हालात यह हैं कि समोध सिंह नामक किसान एक पखवाड़े से अपनी धान की फसल मंडियों में बेचने के लिए मारे-मारे फिरते रहे लेकिन जब धान नहीं बेच पाए तो इसमें खुद ही आग लगा दी।
इसी के साथ बीजेपी सांसद सवाल खड़ा करते हैं कि मौजूदा व्यवस्था ने किसानों को कहां लाकर खड़ा कर दिया है? वरुण गांधी ने कहा है कि कृषि नीति पर फिर से चिन्तन करना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
वरुण गांधी ने कैसे मोदी-योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया यहां पढ़िए-
“उत्तर प्रदेश के किसान श्री समोध सिंह पिछले 15 दिनों से अपनी धान की फसल को बेचने के लिए मंडियों में मारे-मारे फिर रहे थे, जब धान बिका नहीं तो निराश होकर इसमें स्वयं आग लगा दी। इस व्यवस्था ने किसानों को कहाँ लाकर खड़ा कर दिया है? कृषि नीति पर पुनर्चिंतन आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है।”
जाहिर है यह पहला मौका नहीं जब बीजेपी सांसद वरुण गांधी किसानों के समर्थन में खुलकर उतरे हों और मोदी सरकार और योगी सरकार को सवालों के घेरे में लिया हो। चाहे गन्ना समर्थन मूल्य 400 रुपए करने की मांग हो या कृषि क़ानूनों पर किसानों की हिमायत करना हो या फिर लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलने की घटना में आरोपियों की खुलकर मुखालफत करना रहा हो, वरुण गांधी लगातार सत्ताधारी दल को असहज कर रहे हैं।
ताजा मामला अपने आप में बेहद गंभीर तो है कि क्योंकि ये तस्वीरें किसान आमदनी दोगुना करने के तमाम दावों की हवा निकाल रही हैं और खुद बीजेपी सांसद मुखर होकर जब इस मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे तब इसकी गंभीरता और संवेदनशीलता की गुना बढ़ जाती है।