देहरादून: बाइस बैटल में सत्ताधारी भाजपा को पटखनी देने को बेक़रार कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेगा चुनावी इवेंट मैनेजमेंट का जवाब चुनावी बिसात को उत्तराखंडियत के ताने-बाने से बुनकर देने की तैयारी में है। कांग्रेस के चुनाव अभियान का शंखनाद करने 16 दिसंबर को देहरादून पहुंच रहे पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे को भी उत्तराखंडियत के रंग में रंग दिया गया है। राहुल गांधी उत्तराखंड विजय सम्मान रैली में शामिल होकर 1971 पाकिस्तान को परास्त कर बांग्लादेश उदय की पटकथा लिखने वाले शहीद सैनिकों के परिजनों और युद्ध नायकों को जीत के पचास वर्ष पूरे होने पर सम्मानित करेंगे। कांग्रेस सबसे पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि देगी और फिर राहुल गांधी रैली मंच पर सौ के आसपास पूर्व सैनिकों को सम्मानित करेंगे जबकि शेष पूर्व सैनिकों को प्रदेश के नेता सम्मानित करेंगे।
जाहिर है उत्तराखंड फौजी स्टेट है और यहाँ सैनिक वोटर चुनावी लड़ाई में अहम भूमिका निभाते हैं और कांग्रेस भी 1971 के भारत-पाक युद्ध के वीर नायकों को याद कर बड़ा मैसेज देना चाह रही है। चूँकि राहुल गांधी कांग्रेस के चुनाव अभियान का शंखनाद भी करेंगे लिहाजा सैन्य नायकों को तो सम्मानित किया जाएगा ही, साथ ही भारी भीड़ इकट्ठा कर प्रधानमंत्री मोदी के चार दिसंबर के मेगा शो का जवाब भी देने की कोशिश की जाएगी। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह तो कह भी चुके हैं कि भारी भीड़ जुटेगी तो सूबे में बदलाव का बड़ा संकेत देकर जाएगी।
राहुल गांधी अपने इस दौरे के जरिए कांग्रेस के चुनाव अभियान को धार देने आ रहे हैं लिहाजा राहुल गांधी के भाषण पर तो नजर रहेगी ही कि वे किस लाइन पर भाजपा और पीएम मोदी पर हल्लाबोल करते हैं। लेकिन कांग्रेस ने ‘राहुल भैजी आला’ का नारा देकर चुनावी रैली को लोकल टच यानी उत्तराखंडियत का रंग देने की कोशिश की है। दरअसल, ‘राहुल भैजी आला’ अकेला वह नारा नहीं जो उत्तराखंडियत का अहसास कराए बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तो कई दिनों से उत्तराखंडियत के आसपास चुनावी बिसात बिछाकर सत्ताधारी भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।