देहरादून: चार जुलाई को मुख्यमंत्री बनने के बाद से लगातार पुष्कर सिंह धामी ने टीएसआर-१ और टीएसआर-२ के मुकाबले अपनी सहज और हर संकट का हल निकालने वाली छवि गढ़ी। लेकिन चुनाव आचार संहिता की घोषणा के बाद जिस तरह से ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर बैकडेट और बैकडोर का खेल खेला गया उसे लेकर विपक्ष ने तो जमकर हल्ला बोला ही सत्ताधारी दल के भीतर भी ये चर्चायें होने लगी कि आखिर बड़ी तादाद में तबादलोें का खेल क्यों खेला गया! लेकिन चौतरफा सीएम धामी की छवि पर बट्टा लगने और पूरी सरकार की छिछालेदर होने के बाद अब शिक्षा विभाग ने बड़ा एक्शन ले लिया है। उत्तराखंड शिक्षा विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने अपने तरीके से हालात संभालने और दोषियों पर एक्शन के संकेत दिए, अब एक बड़ा आदेश जारी कर दिया है।
सचिव शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम द्वारा जारी ताजा आदेश के अनुसार आचार संहिता का उल्लंघन करार दिए जा रहे तबादले निरस्त कर दिए गए हैं। साथ ही इस दौरान नई जगह पोस्टिंग ले चुके शिक्षकों को भी अपने पुरानी तैनाती पर जाना पड़ेगा। दरअसल आचार संहिता के मौके पर ताबड़तोड़ तबादलोें को विपक्ष ने आचार संहिता का उल्लंघन करार देकर जमकर बवाल मचाया जिसका असर होता दिखा है और चुनाव आयोग ने सीएस एसएस संधू को पत्र लिखकर इन पर एक्शन करने को कहा था।
इसी के बाद अब शासन ने तबादला पाए शिक्षकों की तैनाती पर रोक लगा दी है। इससे पहले तबादला आदेश को लेकर महानिदेशक शिक्षा को निर्देश दिया गया था कि तबादला पा चुके शिक्षकों को नई तैनाती न दी जाए और नई तैनाती पाए मास्साबों को भी पूर्व की मूल तैनाती पर रवाना कर दिया जाए।
जाहिर है शिक्षा सचिव के इस नए आदेश से उन मास्साबों के लिए संकट खड़ा हो गया है जो जुगाड़ भिड़ाकर तबादला करा ले गए थे। अब उन शिक्षकों और तबादला करा देने वाले उनके रहनुमाओं में किस तरह से तालमेल बनेगा यह देखना भी दिलचस्प होने वाला है।
बहरहाल तबादलों के इस पूरे खेल में असल घाटे में तबादला पा गए शिक्षकों से ज्यादा घाटे में अगर कोई रही है तो वह है युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी और सत्ताधारी भाजपा सरकार। पैनिक बटन दबाकर किए गए तबादलोें और आखिरी वक्त की नियुक्तियों ने यह तथ्य भी स्थापित कर दिया कि कहीं न कहीं सत्ता में वापसी का कॉन्फ़िडेंस डोल गया!