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चुनाव आयोग की सख्ती: ठीक आचार संहिता से पहले आबकारी आयुक्त बनाए गए हरिचन्द्र सेमवाल की छुट्टी, चुनाव आयोग ने टेढ़ी नजर की तो शासन ने आबकारी सचिव-आयुक्त पद से हटाया, धामी सरकार की फिर हो गई किरकिरी

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  • विपक्ष, हरीश रावत ने चुनाव से पहले आबकारी आयुक्त बदलने के पीछे करोड़ों के खेल की जताई थी आशंका

देहरादून: आचार संहिता लगने बाद बैक डेट में चला तबादलों और नियुक्तियों का खेल डबल इंजन सरकार के गले की फाँस बन चुका है। पहले मास्साबों के आचार संहिता लगने के बाद सात जनवरी की बैक डेट दिखाकर किए गए तबादलों पर बवाल मचा तो शिक्षा सचिव ने ऐसे तमाम तबादलोें-तैनातियों पर रोक लगा दी।

चुनाव में जाते-जाते सीएम पुष्कर सिंह धामी हरिचन्द्र सेमवाल को आबकारी आयुक्त बनाकर गए थे लेकिन चुनाव आयोग की सख्ती का असर है कि शासन ने अब सेमवाल की आबकारी सचिव के साथ-साथ आबकारी आयुक्त पद से भी छुट्टी कर दी है। शासन ने सेमवाल को सचिव व आबकारी आयुक्त यानी दोनों ज़िम्मेदारियों से मुक्त करते हुए रविनाथ रमन को आबकारी सचिव का एडिशनल चार्ज दे दिया है। जबकि आबकारी आयुक्त पद पर फिर से नितिन भदौरिया की वापसी हो गई है।

दरअसल, सीएम धामी ने सात जनवरी को आचार संहिता लगने से पहले नितिन भदौरिया को आबकारी आयुक्त पद से हटाकर सचिव आबकारी हरिचन्द्र सेमवाल को ही आयुक्त की ज़िम्मेदारी भी सौंप दी थी। लेकिन विपक्ष ने चुनाव में जाते-जाते युवा सीएम धामी के इस फैसले को करोड़ों का ‘खेल’ करार दिया और पूर्व सीएम हरीश रावत ने बाक़ायदा प्रेस कॉन्फ़्रेंस बुलाकर करा कि नए आयुक्त के जरिये शराब की क्वालिटी को लेकर करोड़ों का खेल खेला गया है और अगे चुनाव में विभाग से भाजपा प्रत्याशियों तक शराब पहुँचाने की पटकथा भी लिखी जा चुकी है।


हरीश रावत के हल्ला मचाने के बाद कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग को इसकी लिखित शिकायत भी की थी जिसके यह एक्शन हुआ है। दरअसल यह लगातार दूसरा मौका है जब आचार संहिता लगने के चंद घंटे पहले किए गए तबादले-तैनाती मामले में धामी सरकार के फैसले को शासन द्वारा पलटना पड़ा है क्योंकि चुनाव आयोग की सख्ती का चाबुक लगातार चल रहा है।

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