देहरादून: उत्तराखंड की चुनावी बिसात पर सत्ता हासिल करने को बाइस बैटल में कूदी कांग्रेस को औंधे मुँह जमीन पर धड़ाम होना पड़ा है। कहां तो दावा किया जा रहा था कि कांग्रेस न केवल कैंपेन कमेटी को लीड कर रहे पूर्व सीएम हरीश रावत के बूते कुमाऊं में ऐसी क़िलेबंदी करेंगे कि भाजपा 29 सीटोें में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी और कहां न केवल हरदा 17 हजार से भी ज्यादा वोटों से करारी शिकस्त खा बैठे, कांग्रेस भी 29 सीटों में बमुश्किल दहाई का आंकड़ा छू पाई। वह भी ग़नीमत हो किसान आंदोलन के चलते बने हालात कि ऊधमसिंहनगर की 9 में से 5 सीट उसके हाथ आ गई वरना कुमाऊं के पर्वतीय जिलों की 20 सीटों में कांग्रेस को महज 6 सीटें ही नसीब हुई।
इसी तरह गढ़वाल में भी कांग्रेस देवस्थानम बोर्ड आंदोलन के चलते ब्राह्मण वोटर्स की नाराजगी और गढ़वाल क्षेत्र से बनाए गए दो-दो मुख्यमंत्रियों की नाकामी को वोटों में कैश कराने के सपने देख रही थी। इसे ही अमलीजामा पहनाने को हरदा ने गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनावाया लेकिन गोदियाल करीबी मुकाबले में चुनाव हार गए और गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्र में फिर कांग्रेस को निराशा हाथ लगी। गढ़वाल क्षेत्र के देहरादून और पांच पर्वतीय जिलों की 30 सीटों में से कांग्रेस महज तीन सीट ही जीत पाई। न देहरादून जिला, जहां से खुद नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह आते हैं वहाँ की 10 सीटों में महज एक सीट चकराता में वे जीत पाए।
ग़नीमत रही कि ऊधमसिंहनगर की तरह हरिद्वार जिले में भी किसान आंदोलन का असर रहा जिसका फायदा कांग्रेस को मिला और भाजपा 8 सीट से घटकर 3 पर आ गई और कांग्रेस 3 से बढ़कर 5 सीटें पा गई। हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर की 20 सीटों में कांग्रेस ने 10 सीटें जीत ली। जबकि बाकी सूबे की 50 सीटों में से उसे महज 9 सीटों पर ही जीत नसीब हो पाई।
देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने भाजपा और कांग्रेस की परफ़ॉर्मेंस को जीत के स्ट्राइक के जरिए रोचक तरीके से समझाने की कोशिश की है। नौटियाल ने कहा कि भाजपा ने गढ़वाल मंडल के पांच पर्वतीय जिलों और देहरादून में 87 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 30 में से 26 सीटें झटक ली। जबकि कांग्रेस महज 10 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 3 सीट जीत पाई। वहीं भाजपा कुमाऊं मंडल पांच पर्वतीय जिलों में 70 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 20 में से 14 सीट जीतती है। जबकि कांग्रेस 30 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 6 सीट ही जीत पाती है। हालाँकि कांग्रेस ने हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर की 20 सीटों में से 10 सीट जीतकर यहां कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 50 फीसदी रहा जो इन दो जिलों में भाजपा के 35 फ़ीसदी स्ट्राइक रेट से बेहतर रहा। सूबे की 70 सीटों की बात करें तो भाजपा ने 67 फ़ीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 47 सीटें जीतीं। जबकि कांग्रेस 27 फ़ीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 19 सीटें ही जीत पाई।
ज़ाहिर है इस चुनाव में कांग्रेस के तीनों दिग्गज हरदा-प्रीतम-गोदियाल फ़ेल साबित हुए। हाँ प्रीतम सिंह अपनी सीट जीतकर हरदा-गोदियाल के मुक़ाबले लाज बचाने में कामयाब रहे। लेकिन कांग्रेस को बचाने में न प्रीतम कामयाब रहे न हरदा-गोदियाल! सवाल है कि क्या कांग्रेस 2027 के लिए अभी से क़दम उठाएगी या फिर उसे दिल्ली-पंजाब के बाद यहां भी झाड़ू चलने का इंतज़ार है?