- भाजपा में जाने की अटकलों को खारिज करते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने जताया अंदेशा
- आलाकमान के विश्वस्त प्रीतम को बदनाम करने की साज़िश कौन रच रहा?
- कांग्रेस में वह नेता कौन जो चाहता चले जाएं चकराता के चैंपियन?
- हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच छिड़ा कैंप वॉर कहां लेकर जाएगा कांग्रेस को?
देहरादून: कांग्रेस आलाकमान द्वारा बिना पक्ष सुने गुटबंदी का दोषी करार दिए जाने से आहत प्रीतम सिंह सोमवार को ‘फ्लावर नहीं फायर’ अंदाज में दिखे। प्रीतम ने एक सुर में हरदा, वेणुगोपाल और देवेन्द्र यादव पर हमला बोला। प्रीतम ने बिना नाम लिए हरदा पर हमला बोलते कहा कि जो नेता एकतरफ़ा गुटबंदी कर रहा है और ट्विटर के माध्यम से कोई बात कह रहा है तो कार्यवाही उस पर होनी चाहिये या प्रीतम सिंह के ऊपर है? प्रीतम सिंह ने कहा कि अदालत भी फैसला सुनाने से पहले दोनों पक्षों को सुनती है कांग्रेस आलाकमान बताए तो कि प्रीतम सिंह ने कहां गुटबंदी की?
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के साथ संयुक्त रूप से प्रेस कॉंफ़्रेंस करने पहुँचे चकराता से छठी बार चुनावी जंग जीत चैंपियन बने प्रीतम सिंह ने भाजपा में जाने की अटकलों को खारिज कर दिया है। प्रीतम ने कांग्रेस विधायक के रूप में इस्तीफा देने की खबर चलाने वाले तीन पॉर्टलों के खिलाफ मानहानि का नोटिस दे दिया है। लेकिन सबसे गंभीर बात यह है कि प्रीतम सिंह ने अंदेशा जताया है कि कांग्रेस से भाजपा की खबर उनके खिलाफ किसी साज़िश का हिस्सा है। सवाल है कि अगर प्रीतम सिंह का अंदेशा सही है तो आखिर वह कौन चेहरे हैं जो चाहते हैं कि प्रीतम सिंह भाजपा चले जाएं या फिर ऐसी खबरें उड़ाकर आलाकमान की नज़रों में गांधी परिवार के इस बेहद करीबी नेता को बदनाम कर दिया जाए?
मौजूदा दौर की उत्तराखंड कांग्रेस की राजनीतिक तस्वीर देखें तो गुजरे कुछ वर्षों में दो ही धड़े हैं जो आमने-सामने या परदे के पीछे से अंदर ही अंदर एक-दूसरे को शह-मात देने की कोशिश में रहते हैं। एक तरफ पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का कैंप है तो दूसरी तरफ पूर्व सीएम हरीश रावत का कैंप है। हरदा वर्सेस प्रीतम कैम्प के बीच बंटी कांग्रेस ने 2022 का दंगल लड़ा और बुरी तरह शिकस्त खाई। भले नेता प्रतिपक्ष से लेकर नए अध्यक्ष बना दिए गए हों लेकिन यही दो घड़े आज भी दिखते हैं जिनमें तलवारें खींची हुई हैं और लहुलुहान कांग्रेस हो रही है।
दरअसल, प्रीतम सिंह आग-बबूला हैं कि आखिर प्रदेश कांग्रेस की हार का ठीकरा पार्टी नेताओं की आपसी गुटबंदी पर फोड़ा गया है और इस बदनामी के छींटे राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव ने उन पर भी डाल दिए हैं। इसी के बाद से प्रीतम वेणुगोपाल और यादव पर तो सीधे हमला बोल रहे, लगे हाथ गुटबंदी को लेकर इशारों-इशारों में पूर्व सीएम हरीश रावत को भी निशाने पर ले रहे हैं। प्रीतम सिंह बार-बार दुहाई दे रहे हैं कि अगर उन पर गुटबंदी का आरोप लगाया गया है तो उसकी जांच भी होनी चाहिए। वहीं वे यह भी बार-बार दोहरा रहे कि उन नेताजी पर भी गौर फ़रमाया जाए जो चुनाव से पहले सोशल मीडिया -फेसबुक, ट्विटर के जरिए पार्टी की फजीहत करा रहे थे और लगातार पार्टी के विरोध में बातें कह रहे थे।
जाहिर है प्रीतम सिंह खुलकर नाम भले न ले रहे हों लेकिन उनका साफ-साफ इशारा हरदा की तरफ ही हैं। हरदा ने ही कैपेन लीड करने का दायित्व पाने से पहले ट्विटर के जरिए अपना दर्द सोशल मीडिया पर बयां कर पार्टी को असहज कर दिया था। अब प्रीतम सिंह ने इशारों इशारों में एक और बड़ी बात कह दी है,”शिखंडी को आगे कर प्रीतम सिंह की हत्या ( राजनीतिक) नहीं की जा सकती है।” अब सवाल है कि कांग्रेस में ये ‘शिखंडी’ अवतार परिस्थितियाँ हैं या कोई अन्य ही हैं और उनका सहारा लेकर कौन प्रीतम सिंह को कांग्रेस में पराजित करना चाहता है?