
देहरादून: शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने विधानसभा स्थित अपने सरकारी कार्यालय में पशुपालन, कौशल विकास, गन्ना विकास तथा दुग्ध विकास विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में मंत्री बहुगुणा ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि उत्तर प्रदेश एवं अन्य पड़ोसी राज्यों के अनुरूप, विभिन्न विभागों के स्तर से अपेक्षित कार्यवाही के क्रम में निराश्रित गौवंश के प्रबंधन हेतु समावेशी नीति का प्रस्ताव तैयार किया जाए।
सौरभ बहुगुणा ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ऊधमसिंह नगर जिले में पशुपालन विभाग को आवंटित सरकारी भूमि पर गौसदनों का निर्माण कर पीपीपी मोड में गैर सरकारी पशुकल्याण संस्थाओं व धर्मार्थ संस्थाओं के माध्यम से संचालित किये जाने का प्रस्ताव तैयार किया जाए।
कैबिनेट मंत्री ने राजकीय अनुदान चयन समिति की बैठक में केन्द्रीय अधिनियम-पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत दण्ड प्रावधानों के अति न्यून होने की स्थिति का संज्ञान लेते हुए निर्देश दिए हैं कि दण्ड प्रावधानों को वर्तमान समय के अनुरूप संशोधित करने के लिए फिर से भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए।
बैठक में प्रदेश के 35 गौसदनों में शरणागत 9286 गौवंश के लिए 83.33 लाख रुपए का भरण पोषण अनुदान आवंटित किये जाने का निर्णय लिया गया।

गन्ना मंत्री बहुगुणा ने कहा कि गन्ना किसानों का लगभग 75 प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है। साथ ही 50 करोड़ की एक और किश्त की मांग राज्य सरकार से की गई है। बहुगुणा ने कहा कि वर्तमान में गन्ना किसानों का 134 करोड़ का भुगतान अवशेष रह गया है जिसके भुगतान की योजना बनाई जा रही है।
कौशल विकास मंत्री सौरभ ने कहा कि राज्य के युवाओं की बेहतरी के लिए कौशल विकास के नये प्रस्ताव बनाये जाने के संबंध में केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से चर्चा की जायेगी ताकि प्रदेश के विकास के लिए बेहतर प्रोजेक्ट लाये जा सकें।
मंत्री सौरभ ने दुग्ध विकास विभाग के संबंध में कहा कि दुग्ध प्रोत्साहन राशि जो चार रुपए से बढ़ाकर पांच रुपए करने तथा पर्वतीय क्षेत्रों में रू॰ 1 और मैदानी क्षेत्रों में 50 पैसे इन्सेनटिव दिये जाने का शासनादेश जारी कर दिया जाएगा।
सौरभ बहुगुणा ने कहा कि केदारनाथ यात्रियों के लिए चढ़ाई को घोड़े, खच्चर प्रमुख माध्यम है। उन्होंने बताया कि पशु क्रूरता के संबंध 09 लोगों पर एफ॰आई॰आर॰ दर्ज की गई है। वर्तमान में 6800 घोड़ों की जांच की गई है और 97 बीमार घोड़ों को यात्रा के लिए प्रतिबंधित किया गया है। पशु क्रूरता रोकने के लिए समिति गठित की गयी है।

बैठक में पशुपालन, कौशल विकास, गन्ना विकास तथा दुग्ध विकास विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।