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Dhami Big Action: नकल माफिया की कमर तोड़ने को अब धाकड़ धामी उठाने जा रहे ये सॉलिड स्टेप, एक्ट का मसौदा तैयार

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Uttarakhand News: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में हुए पेपर लीक कांड ने नकल माफिया किस कदर राज्य की सरकारी सेवाओं पर हावी है इसकी पोल खोल कर रख दी। पेपर लीक कांड के बाद उजागर हुआ कि कैसे यूपी सहित कई राज्यों के नकल माफिया सालों से राज्य के मेहनती युवाओं के सरकारी नौकरी के सपने पर डाका डाल रहे थे। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बेरोजगार युवाओं द्वारा नकल माफिया को लेकर कई तथ्य सामने रखने के बाद एसटीएफ को लगाकर 42 आरोपियों को सलाखों के पीछे धकेल दिया। यह अलग बात है कि सरकारी वकीलों की कमजोर पैरवी का फायदा उठाकर अब तक 19 आरोपी जमानत पा गए हैं लेकिन अब सीएम धामी ने अपनी धाकड़ इमेज को लेकर संजीदगी दिखाते हुए ऐसी रणनीति बनाई है कि इसके बाद सूबे में नकल माफिया की कमर टूट जाएगी।

धामी सरकार राज्य में आयोजित होने वाली आयोगों, बोर्डों, परिषद और विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित कराई जाने वाली तमाम भर्ती परीक्षाओं में नकल के नासूर को रोकने के लिए सख्त नकल विरोधी कानून बनाने का मसौदा तैयार करा चुकी है। सीएम धामी की तैयारी है कि नवंबर में संभावित सत्र के दौरान विधेयक पास कराकर कानून बना दिया जाए।

यह पहला मौका है जब कोई सरकार नकल माफिया के खिलाफ इस तरह से कड़े एक्शन लेती दिख रही है। चाहे UKSSSC के नकल माफिया की धरपकड़ हो या अब अब सख्त नकल विरोधी कानून की तैयारी। मुख्यमंत्री धामी जानते हैं कि यूं ही नहीं चुनाव प्रचार के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ ने उन्हें धाकड़ धामी की उपाधि दी थी, बल्कि UKSSSC पेपर लीक कांड ने उनको एक अवसर दिया है जिसके जरिए वे सरकारी नौकरियों पर डाका डालते आ रहे नकल माफिया को नेस्तनाबूत कर बेरोजगार युवाओं में यह भरोसा और विश्वास पैदा कर सकते हैं कि नौकरियां चाहे जितनी भी हों संख्या के लिहाज से लेकिन एक भी भर्ती और नियुक्ति भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी ढंग से होगी।

आगामी विधानसभा सत्र में धामी सरकार उत्तराखंड सरकारी सेवाओं में नकल निषेध अधिनियम 2022 लेकर आने की तैयारी कर चुकी है। शासन स्तर पर होमवर्क ही चुका है और एक्ट को लेकर न्याय विभाग से लेकर अन्य संबंधित विभागों से सुझाव लिए जा चुके हैं। अब एक्ट के मसौदे का प्रस्ताव धामी कैबिनेट में आएगा जिसके बाद विधानसभा के रास्ते इसे कानूनी शक्ल दी जाएगी।

दरअसल, बेरोजगार युवाओं ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की थी कि नकल माफिया पर पुलिस एक्शन के साथ इसके पुख्ता इलाज के लिए नकल निषेध का कड़ा कानून भी बनना चाहिए ताकि नकल माफिया में खौफ रहे कि नकल कराते पकड़े जाने पर कड़ी सजा भुगतनी होगी।

उत्तराखंड में पिछली सरकारों में नकल माफिया के खिलाफ नहीं हुआ कड़ा एक्शन

उत्तराखंड नकल माफिया के लिए सॉफ्ट स्टेट इसलिए बनता गया क्योंकि आज से पहले किसी मुख्यमंत्री या सरकार ने कानून बनाने या नकल माफिया की धरपकड़ को लेकर निर्णायक अभियान छेड़ा ही नहीं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा का पेपर ब्लू टूथ की मदद से हरिद्वार जिले में लीक हुआ तो नाम UKSSSC पेपर लीक कांड में दबोचे गए हाकम सिंह रावत का भी उछला लेकिन तब वह सत्ता संरक्षण में बच निकलता है।

उत्तराखंड में आज तक किसी पेपर लीक कांड के बाद आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420, 120 बी या हाईटेक नकल होने पर आईटी एक्ट में ही केस दर्ज होते हैं। लेकिन नकल माफिया को बखूबी अंदाजा है कि पकड़े जाने के बावजूद वह मौजूदा कानून में कमतर सजा आदि प्रावधानों की आड़ लेकर बच निकलेगा। लेकिन अगर सख्त नकल विरोधी कानून अस्तित्व में आ गया तो न केवल नकल माफिया बल्कि नकल में लिप्त उम्मीदवारों पर जुर्माने के साथ ही दो से तीन साल की सजा और परीक्षाओं से दो साल तक अयोग्य घोषित करने जैसे कड़े प्रावधान होंगे।

इतना ही नहीं जो संस्था पेपर लीक कांड में शामिल पाई गई उसे भारी भरकम जुर्माना देना होगा तथा उसके कर्ता धर्ताओं को पांच से सात साल तक की सजा भुगतनी पड़ेगी। नकल माफिया की भूमिका पर दस साल तक सजा के अलावा संपत्ति कुर्की और दस लाख तक जुर्माना जैसे प्रावधान रखे गए हैं। साथ ही नकल को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध मानकर इसकी जांच एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी से ही कराई जाएगी।

ज्ञात हो कि सख्त नकल विरोधी कानून के अभाव में ही फायदा उठाकर अभी तक UKSSSC पेपर लीक कांड के 42 में से 19 आरोपी जमानत पाने में कामयाब हो गए हैं। जाहिर है सख्त नकल विरोधी कानून बनाकर सीएम पुष्कर सिंह धामी साफ संदेश देना चाह रहे कि सरकारी नौकरियों पर नकल माफिया की डकैती के दिन अब लद चुके हैं। शायद धाकड़ धामी इमेज के खातिर उनको यह कदम उठाना भी चाहिए।

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