Madan Kaushik in Central BJP team, message for Uttarakhand party politics: बीजेपी नेतृत्व ने शुक्रवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी को लेकर कई चेहरों का एलान कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस छोड़कर आए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह और पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ को राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दे दी गई है। उत्तरप्रदेश के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य बनाया गया है।
जबकि पार्टी आलाकमान ने उत्तराखंड बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मदन कौशिक को राष्ट्रीय कार्य समिति का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया है। छत्तीसगढ़ बीजेपी पूर्व अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पंजाब इकाई के पूर्व अध्यक्ष मनोरंजन कालिया और पंजाब से ही अमनजत कौर रामूवालिया को भी विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। जबकि कांग्रेस छोड़कर आए जयवीर शेरगिल को बीजेपी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है।
यह तो रही बीजेपी नेतृत्व द्वारा सेंट्रल टीम को लेकर किए गए एलान की बात। अब बात करते हैं उत्तराखंड के लिहाज से पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को पदोन्नत कर केंद्रीय टीम में जगह देने के सियासी मायने क्या निकाले जाएं?
क्या 2022 का चुनावी दंगल जीतने के बाद संगठन का सूबेदार होने के नाते जीत का सेहरा बंधवाने की बजाय दिल्ली पहुंच गए शिकायतों के पुलिंदे के नीचे दबकर अलग थलग पड़ गए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को एडजस्ट भर कर दिया गया है?
या फिर राज्य में अब तक हुए पांच के पांच विधानसभा चुनाव लगातार जीतने वाले हरिद्वार जिले की भाजपाई सियासत के सबसे कद्दावर चेहरे को कार्य समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाकर मोदी-शाह ने 2024 को लेकर मदन कौशिक की हसरतों को नए सिरे से खाद पानी दे दिया है?
एक सवाल यह भी है कि क्या मदन कौशिक को केंद्र के सांगठनिक ढांचे में फिट कर मोदी-शाह ने सूबे के पॉवर कॉरिडोर में ‘बैलेंसिंग एक्ट’ करने की कोशिश की है? पॉवर बैलेंसिंग इस लिहाज से कि मदन कौशिक के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बहुत सौहार्दपूर्ण रिश्ते नहीं ही कहे जा सकते हैं।
फिर हरिद्वार की राजनीति में पूर्व मंत्री और बाइस बैटल में ‘सबकुछ’ होकर भी शिकस्त खा बैठे स्वामी यतीश्वरानंद के साथ मदन कौशिक के अदावत भरे रिश्ते भी जगजाहिर ही हैं। उसी जिले की राजनीति में सक्रिय सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और मदन कौशिक की “दोस्ती” के किस्से भी कहां लोग भूले हैं। फिर कौशिक से कुर्सी लेकर संगठन के सूबेदार बने महेंद्र भट्ट भी मदन के लिए कितना पॉजिटिव रहे होंगे सहज अंदाजा लगाया जा सकता हैं।
रही सही कसर इस समीकरण से पूरी हो जाती है कि कौशिक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कैंप में जो गिने जा रहे। वैसे गिने भी क्यों न जाएं भला TSR राज में सबसे पॉवरफुल मंत्री से लेकर शासकीय प्रवक्ता यानी मीडिया में सरकार की आवाज बनकर रहे। आजकल दोनों के सियासी सितारे गर्दिश में चल रहे तो एक दूसरे को लेकर सहानुभूति भी भरपूर बरकरार है।
इस सबके बावजूद अगर कौशिक को बीजेपी की नेशनल वर्किंग कमेटी में स्पेशल इनवाइटी का ओहदा मिल गया है तो भला यह पावर बैलेंसिंग एक्ट तो प्रतीत होता ही है। साथ ही चौबीस में हरिद्वार लोकसभा की लड़ाई में कूदने की कौशिक की 15 साल से दबी हसरत को नए सिरे से ऑक्सीजन भी देता है।
साफ है कौशिक का एलिवेशन पहाड़ पॉलिटिक्स में बैलेंसिंग एक्ट के साथ ही TSR कैंप को पूरी तरह चूके हुए मान लिए जाने की भूल करने से सावधान भी करता है। साथ ही इस पॉलिटिकल डेवलपमेंट के मुख्यमंत्री धामी से प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और सांसद डॉ निशंक तक सबके लिए अलग अलग मायने हैं।
अंदाज इससे भी लगा सकते हैं कि बीजेपी केंद्रीय कार्यालय से महासचिव अरुण सिंह द्वारा संगठनात्मक नियुक्ति की चिट्ठी जारी करने के बाद जब The News ADDA ने मदन कौशिक को नेशनल वर्किंग कमेटी में स्पेशल इनवाइटी बनाने पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो जवाब था, “यानी…टाइगर अभी जिंदा है!”