Uniform Civil Code and BJP ruled states Chief Ministers following Uttarakhand CM Dhami’s footsteps: अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दिखाया रास्ता पकड़ने की ठान ली है। सीएम शिवराज ने ऐलान कर दिया है कि वे भी जल्द मध्यप्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेंगे और इसके लिए उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों की तर्ज पर एक्सपर्ट कमेटी गठित कर रहे हैं।
दरअसल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2022 के शुरू में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान वोटिंग से ठीक पहले ऐलान किया था कि बीजेपी की दोबारा सरकार बनने के बाद वे सबसे पहला निर्णय समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर ही लेंगे। सत्ता बीजेपी को मिल जाती है और मुख्यमंत्री धामी समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज, जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी का गठन करते हैं।
धामी सरकार द्वारा 27 मई को गठित इस समिति का कार्यकाल बीते 28 नवंबर को खत्म हो रहा था जिसे मुख्यमंत्री ने अब छह महीने और बढ़ा दिया है। यानी अब जस्टिस रंजना देसाई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय कमेटी अगले साल 27 मई तक रिपोर्ट सौंप सकती है। कमेटी से समय बढ़ाने की मांग इस आधार पर की थी कि उसे ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों माध्यमिक को मिलाकर सवा दो लाख से अधिक सुझाव मिले हैं।
ज्ञात हो कि बीजेपी सालों से लगातार अपने चुनावी घोषणा पत्रों में समान नागरिक संहिता के मुद्दे को उठाती आई है और उत्तराखंड में सीएम धामी द्वारा इसके ऐलान से सियासी जीत पाने के बाद पार्टी ने आठ दिसंबर को आ रहे गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी UCC गठन का वादा किया है। गुजरात में तो ठीक आचार संहिता लगने से पहले वहां के सीएम पटेल ने बाकायदा उत्तराखंड के सीएम धामी की तर्ज पर एक्सपर्ट कमेटी भी गठित कर दी थी।
अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी समान नागरिक संहिता को आवश्यक करार देकर एक्सपर्ट कमेटी बना रहे हैं। जाहिर है उत्तराखंड के रास्ते यूपी, हिमाचल, गुजरात जैसे बीजेपी शासित राज्यों के बाद अब इस श्रृंखला में शिवराज का मध्यप्रदेश नए नाम के तौर पर शामिल हो गया है।
वैसे समान नागरिक संहिता को लेकर अब कांग्रेस के सुर भी बदलने लगे हैं। तभी तो हिमाचल चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को कहना पड़ा कि कांग्रेस भी UCC के पक्ष में हैं,बशर्ते बीजेपी इस पर राजनीति न करे। जाहिर है उसे इस मुद्दे के खिलाफ खड़े होने के राजनीतिक जोखिम का बखूबी अहसास है और वह शाहबानो केस और तीन तलाक मुद्दे पर अपनाया अपना रुख अब बदलना चाह रही है।
सवाल है कि क्या समान नागरिक संहिता मोदी शाह के सियासी तरकश का वो धारदार तीर है जिसे लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राज्य दर राज्य बीजेपी ठीक चुनाव से पहले आजमाकर देख रही है। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी ने इस तीर से सटीक निशाना साधकर बीजेपी के खाते में चुनावी जीत डाल दी लिहाजा अब गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल से लेकर हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर तक UCC को अपने तरकश से छोड़ चुके हैं। शिवराज को अभी नहीं तो अगले साल यानी 2023 में चुनावी रण में उतरना है लिहाजा उनको भी धामी का दिखाया यूनिफॉर्म सिविल कोड दांव सुनिश्चित जीत का अभेद्य कवच जैसा लग रहा है।