Pure Politics: मकसद बहुत सिंपल सा था कि मंत्री जिलों के प्रभारी होते ही हैं,जिलों में रेगुलर बेसिस पर दौरे भी करते हैं। लिहाजा क्यों न इसकी एक रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री कार्यालय में क्रियान्वयन विभाग को भेजते रहे महीने की महीने।
ताकि अगर जनता के द्वार सरकार पहुंचती है तो जनता के दुख दर्द में शरीक हुआ जा सके और लगे हाथ सरकारी योजनाओं के बारे में जमीनी फीडबैक भी जुटा लिए जाए।
लेकिन ऐसा लगता है कि अधिकतर मंत्री या तो जिलों में इतना घूमे ही नहीं कि कुछ लिखकर सीएम दफ्तर को रिपोर्ट करें! या फिर चार जून के बाद अधिकतर मंत्रियों को दिल्ली पहुंचकर मोदी शाह से कितनी नजदीकियां हैं, यह बताने के लिए मुलाकात की एक अदद फोटो वायरल कराने से फुरसत कहां मिल पा रही!
बहरहाल The News ADDA के यूट्यूब चैनल पर जाकर यह वीडियो जरूर देखिए ताकि माजरा समझ जाएं।
यहां पढ़िए पूरा मामला था क्या ?
27 दिसंबर 2022को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने मंत्रियों को जिलों का प्रभार देते हुए यह भी निर्देश दिए थे कि प्रभारी मंत्री हर महीने अपने जिले के किसी न किसी विकासखंड में रात्रि प्रवास, चौपाल, कार्यकर्ता और जनता मिलन कार्यक्रम कर समस्याएं भी सुनें और विकास योजनाओं का फीडबैक लेकर आएं। इसकी एक रिपोर्ट हर महीने क्रियान्वयन विभाग को भेजें तक फॉलोअप हो सके।
लेकिन छह महीने से वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के अलावा किसी मंत्री ने यह रिपोर्ट सीएम कार्यालय भेजना जरूरी नहीं समझा। हारकर सीएम ने मंत्रियों को अगस्त में रिमाइंडर भेजा है कि वे फरवरी के बाद की अपनी रिपोर्ट भेजें।