Adani group shares bloodbath in sixth day continues: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म Hindenburg Research की अडानी ग्रुप को लेकर आई 32 हजार शब्दों और 88 सवालों वाली रिपोर्ट के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में लगातार भारी गिरावट का दौर जारी है। गुरुवार को भी अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गोता लगाते रहे। गुरुवार को अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में 10 फीसदी तक की गिरावट देखी गई।
दरअसल, पिछले हफ्ते आई अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी (रिपोर्ट प्रकाशन के समय गौतम अडानी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर कारोबारी थे) का अडानी ग्रुप दशकों से शेयरों में गड़बड़ी और अकाउंट संबंधी फर्जीवाड़ा करता आ रहा है और इस ग्रुप की कंपनियों के शेयर भी ओवरवैल्यूड हैं। इस तरह के आरोपों के साथ हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप से 88 सवाल भी पूछे थे।
हालांकि अडानी ग्रुप ने 413 पेज का जवाब देते हुए हिंडनबर्ग पर भारत पर सुनियोजित हमला करने का आरोप लगाया लेकिन अमेरिकी फर्म ने इसे राष्ट्रवाद की आड़ में अपनी धोखाधड़ी छिपाना करार दिया। जाहिर है अडानी ग्रुप और खुद गौतम अडानी द्वारा दी जा रही सफाई निवेशकों का खोया विश्वास नहीं लौटाती दिख रही है।
इसी का नतीजा है कि गुरुवार को भी अडानी का कारोबारी कद और घट गया। फोर्ब्स रियल टाइम बिलिनेयर के अनुसार अडानी ग्रुप शेयरों में आज हुई गिरावट के बाद चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ 27 फीसदी और घट गई। अब अडानी की नेटवर्थ 24 अरब डॉलर घटकर 64.7अरब डॉलर रह गई है जिसके बाद वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में नीचे खिसककर 16वें पायदान पर पहुंच गए हैं।
जबकि Hindenburg रिपोर्ट आने से पहले अडानी इस लिस्ट में टॉप 3 पर थे और अब एशिया में तीसरे पायदान पर पहुंच चुके हैं। अडानी ग्रुप की रीढ़ अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर पांच दिनों में 40 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है। अडानी ग्रुप की 10 में से नौ कंपनियों के शेयर्स में गिरावट दर्ज की गई है।
उधर संसद में भी अडानी ग्रुप को लेकर आई अमेरिकी फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट को लेकर आज जमकर बवाल मचा। मोदी सरकार पर हमलावर विपक्षी दलों ने अडानी ग्रुप के वित्तीय लेन देन की जांच सुप्रीम कोर्ट या ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी JPC से कराने की मांग की है। इसको लेकर विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामा किया जिसके चलते दोनों सदनों को पहले दोपहर दो बजे और फिर शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
दरअसल, जिन 13 विपक्षी दलों ने अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगे आरोपों पर संसद में चर्चा कराने और जेपीसी जांच की मांग की है, उनमें कांग्रेस से लेकर तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, DMK, जनता दल और वाम दल शामिल हैं। विपक्षी दलों ने LIC और SBI जैसे तमाम सरकारी बैंकों में देश के करोड़ों लोगों की मेहनत की कमाई जमा होने और अडानी पर लगे गड़बड़झाले के आरोपों पर खुली बहस की मांग की है।
हालांकि गौतम अडानी के लिए मुसीबत भरी खबरें सिर्फ संसद और शेयर बाजार से ही नहीं आई बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने भी अडानी ग्रुप के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक RBI ने तमाम बैंकों से अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की दिए गए कर्ज की डिटेल्स मांग ली हैं।
RBI हरकत में तब आया है जब से Credit Suisse ने अपने बैंक क्लाइंट्स द्वारा दिए अडानी ग्रुप की कंपनियों द्वारा जारी बॉन्ड्स (as collateral for margin loans) को स्वीकारने से इंकार कर दिया। दरअसल, अडानी ग्रुप पर 2 लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्जा है और सरकारी बैंकों एसबीआई, पीएनबी,बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बैंकों ने करोड़ों रुपए का लोन अडानी ग्रुप की कंपनियों को दे रखा है।
अडानी के लिए मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती हैं। गौतम अडानी ने 20 हजार करोड़ का देश का अब तक का सबसे बड़ा FPO (Follow on Public Offer) जैसे तैसे “मित्रों” की मदद से सौ फीसदी सब्सक्राइब तो जरूर करा लिया लेकिन शेयर बाजार में अपनी कंपनियों के शेयरों का आम बजट के दिन भी कत्लेआम होता देख गौतम अडानी ने बुधवार रात ही ऐलान कर दिया कि FPO वापस ले रहे हैं और इन्वेस्टर्स का पैसा रिफंड करेंगे।
दरअसल, फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर के जरिए अडानी समूह ने 20 हजार करोड़ रुपए जुटाकर कर्जे कम करने और विस्तार की तैयारी की थी लेकिन हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद निवेशकों के टूटे भरोसे ने गौतम अडानी को FPO पर कदम आगे बढ़कर पीछे खींचने को मजबूर कर दिया।