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ADDA ANALYSIS राजभवन में सिख गवर्नर बिठाकर किसान आंदोलन का तोड़ खोजने निकली भाजपा को लखीमपुर खीरी घटना से यूपी ही नहीं उत्तराखंड में भी हो सकता है नुकसान?

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देहरादून: 10 महीनों से चले आ रहे किसान आंदोलन की तपिश चुनावी राज्यों- यूपी और उत्तराखंड में कम से कम डैमेज करे इसे लेकर आरएसएस से लेकर बीजेपी नेतृत्व बेचैन है और बचाव के रास्ते खोजने की कोशिशें जारी हैं। उत्तराखंड में लेफ़्टिनेंट जनरल(रिटायर्ड) गुरमीत सिंह को गवर्नर बनाकर भी बीजेपी नेतृत्व ने जहां आप चेहरे कर्नल अजय कोठियाल के फौजी वोट तोड़ने की कोशिशों का कवच तैयार करना चाहा, वहीं उत्तराखंड राजभवन में सिख राज्यपाल बिठाकर किसान आंदोलन के चलते नाराज सिख वोटर्स को लुभाने का दांव भी चला गया। लेकिन लखीमपुर खीरी में जिस तरह से केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगा है उसके बाद किसानों में गुस्सा तेजी ये बढ़ा है और यूपी की घटना के बाद ऊधमसिंहनगर जिले से लेकर हरिद्वार तक किसान क्रोधित नजर आ रहा है।

अब जो वाडियो वायरल हुआ है उसमें किसानों पर जिस हैवानियत के साथ पीछे से आती थार जीप चढ़ाई जाती है उसने कई तरह के गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं और देश के गृह राज्यमंत्री और उनके बेटे पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। जाहिर है जैसे जैसे इस मामले की परतें उधड़ेंगीं बीजेपी के लिए सियासी तपिश और बढ़ती जाएगी। सोशल मीडिया में वीडियो हो रहे ये वीडियो उत्तराखंड के किसानों खासकर ऊधमसिंहनगर के किसानों के भीतर गुस्सा बढ़ाने वाले साबित हो रहे हैं।

दरअसल बीजेपी को अगर पहाड़ प्रदेश में सत्ता की चाबी दोबारा चाहिए तो उसे हरिद्वार की 11 और ऊधमसिंहनगर की नौ सीटों पर 2017 की तर्ज पर कमल खिलाना होगा। पार्टी को 2017 में जहां हरिद्वार में 11 में आठ और ऊधमसिंहनगर में नौ में आठ सीटों पर फतह हासिल हुई थी, वहीं अब किसान आंदोलन के चलते इन 20 सीटों पर उसे भारी नुकसान का डर सता रहा है। इसी का तोड़ निकालने के लिए बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व हाथ-पाँव मार रहा और गवर्नर गुरमीत सिंह को राजभवन में बिठाने और इससे पहले सरदार आरपी सिंह को चुनाव का सह-प्रभारी बनाया गया था। इसके बाद जिस तरह से सीएम और गवर्नर का नानकमत्ता गुरुद्वारा का दौरा हुआ और मुख्यमंत्री धामी ने पिछले दिनों करीब एक दर्जन गुरुद्वारों में जाकर मत्था टेका और आशीर्वाद लिया।

जाहिर है यह सब राष्ट्रीय नेतृत्व के इशारे पर हुआ और मक़सद यही कि किसी तरह सिख-पंजाबी वोटर की नाराजगी दूर की जाए। लेकिन लखीमपुर खीरी में जिस तरह से किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर कुचलने की घटना सामने आई है उसने फिर से बीजेपी के संकट को बढ़ा दिया है। जाहिर है पहले ही जाट वोटबैंक की नाराजगी से बीजेपी को पश्चिमी यूपी की 120 सीटों पर नुकसान हो सकता है, वहीं हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर की 20 सीटों यानी राज्य की कुल 70 सीटों की करीब एक तिहाई सीटों पर किसान आंदोलन के असर से सीधे जूझना होगा। यही वजह है कि विपक्षी कांग्रेस की नजर इन दोनों जिलों पर लगी है और किसान आंदोलन को लेकर अपनी मुखरता से वह बार-बार मैसेज देने की कोशिश भी कर रही।

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