देहरादून: उत्तराखंड बनने के बाद से हुए पिछले चार विधानसभा चुनावों में पौड़ी जिले भाजपा हो या कांग्रेस एक या अधिक ब्राह्मण चेहरों पर दांव लगाया जाता रहा है। भाजपा के दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूरी और रमेश पोखरियाल निशंक पौड़ी जिले की सीटों से ही चुनकर आते रहे। कांग्रेस भी गणेश गोदियाल के जरिए पौड़ी जिले में ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाती रही है। लेकिन 2022 में हो रहे उत्तराखंड विधानसभा के पाँचवे चुनाव में भाजपा ने इस सियासी समीकरण से तौबा कर ली है।
भाजपा ने पॉवरफुल पौड़ी जिले की छह में से पांच सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए हैं लेकिन पार्टी ने पूर्व सीएम जनरल बीसी खंडूरी की बेटी और भाजपा के महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऋतु खंडूरी की टिकट काट दी है। पौड़ी सुरक्षित सीट के अलावा तीन सीटों में श्रीनगर से डॉ धन सिंह नेगी, चौबट्टाखाल से सतपाल महाराज और लैंसडौन से महंत दलीप सिंह रावत यानी तीन ठाकुर चेहरों को फिर उतार दिया है। लेकिन यमकेश्वर से जिले में इकलौती ब्राह्मण विधायक ऋतु खंडूरी का टिकट काटकर वहाँ भी रेनू बिष्ट को उम्मीदवार बनाया गया है।
राज्य बनने के बाद से हुए तमाम चुनावों में यमकेश्वर से भाजपा ब्राह्मण चेहरे ही उतारती रही है और हर चुनाव में जीत भी मिलती रही है। 2002 के पहले चुनाव से लेकर 2007 और 2012 में विजया बडथ्वाल को भाजपा टिकट देती रही और वे जीत की हैट्रिक भी लगाती हैं। 2017 में भाजपा ने विजया बड़थ्वाल की जगह ऋतु खंडूरी को टिकट दिया और वे भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँची। लेकिन इस बार कहा जा रहा है कि सीट पर कराए सर्वे में ऋतु खंडूरी की स्थिति कमजोर आँकी गई जिससे चलते उनका टिकट काट दिया गया।
जबकि आपके THE NEWS ADDA पर भाजपा के एक उच्च पदस्थ नेता ने खुलासा किया है कि प्रदेश इकाई की तरफ से यमकेश्वर से अकेले दावेदार के तौर पर ऋतु खंडूरी का नाम भेजा गया था। ऐसे में बड़ा सवाल है कि दिल्ली किस दिग्गज नेता की सिफ़ारिश पर खंडूरी का टिकट कट गया? आजकल भाजपा कॉरिडोर्स में इस गुत्थी पर खूब मंथन चल रहा है। चर्चा इस बात की भी हो रही कि पहले से देवस्थानम बोर्ड जैसे मुद्दों पर नाराज ब्राह्मण तबका पौड़ी जिले में बिगड़े सामाजिक समीकरणों के बाद चुनाव में भाजपा को लेकर किस तरह का रुख अपनाएगा? एक भाजपा नेता ने कहा कि यमकेश्वर सीट के चलते जिले की बाकी पांच सीटों पर पार्टी को नुकसान उठाना न पड़ जाए!
वैसे अभी जिले की कोटद्वार सीट पर भाजपा ने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है। ऐसे मे सवाल उठता है कि क्या कोटद्वार में किसी ब्राह्मण चेहरे को उतारकर पार्टी सामाजिक समीकरण बैलेंस करने का दांव चलेगी? वैसे कोटद्वार से भी चर्चा दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत के भाई कर्नल विजय रावत को टिकट देने की भी हो रही हैं। या फिर ऋतु खंडूरी को ही कोटद्वार में न झोंक दिया जाए जहां से 2012 में ‘खंडूरी है जरूरी’ नारे के बावजूद जनरल शिकस्त खा बैठे थे।