देहरादून: चर्चाएं हैं कि चुनाव आयोग उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल जनवरी के पहले हफ्ते के बाद कभी भी बजा देगा। यही वजह है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वह हर संभव कोशिश पांच जनवरी से पहले-पहले कर लेना चाहते हैं जिसके दम पर अगले पांच साल सत्ता में आने लायक भरोसा वोटर्स में भरा जाए। तो वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस भी आचार संहिता से पहले राज्य की भाजपा सरकार को जनता में एक्सपोज करने को कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
पहाड़ कांग्रेस के टॉप सॉर्सेज ने THE NEWS ADDA पर खुलासा किया है कि देहरादून में उत्तराखंड विजय सम्मान रैली के बाद प्रदेश कांग्रेस नेताओं को साफ साफ संदेश दिया है कि अगर आगे पार्टी की सरकार बनानी है और मंत्री बनना है तो दाएँ-बाएँ झाँकने की बजाय सीधे युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर हल्लाबोल किया जाए। मतलब साफ है कि राहुल गांधी चाहते हैं कि वे खुद जिस अंदाज में प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर हैं, उसी तर्ज पर उत्तराखंड कांग्रेसी युवा मुख्यमंत्री धामी की घेराबंदी की जाए।
सवाल है क्या चार जुलाई से लेकर आज तक स्लॉग ओवर्स में बैटिंग करने आए युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विपक्ष के हाथों से मुद्दे छीन लिए हैं कि राहुल गांधी को प्रदेश सरकार के मुखिया पर हमलावर होने का दो टूक संदेश देना पड़ रहा है। हालाँकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जरूर अवैध खनन को मुद्दा बनाते हुए मुख्यमंत्री धामी को ‘खनन प्रिय मुख्यमंत्री’ का तमग़ा देकर हमलावर होने का संदेश दिया है, उनके अलावा बाकी नेता धामी पर धारदार अटैक करते नहीं दिखे हैं।
वैसे तो किसी भी मुख्यमंत्री के लिए पांच-साढ़े पांच महीने का वक्त बहुत ज्यादा नहीं होता है लेकिन चुनावी जंग में कूदती सत्ताधारी पार्टी के चेहरे के तौर पर धामी को आलोचना-समालोचना की कठिन परीक्षा से गुज़रना ही होगा। इस नज़रिए से देखें तो सूबे की सरकार की कमान संभालने के बाद से लेकर आज तक मुख्यमंत्री धामी त्रिवेंद्र राज में पैदा हुई चुनौतियों से जूझने का जज्बा दिखाते नजर आए हैं। खासतौर पर धामी ने त्रिवेंद्र राज में देवस्थानम बोर्ड गठन जैसे खोदे गए गड्डों को भरने का साहस दिखाया है।
इतना ही नहीं नौकरियों को लेकर जहां त्रिवेंद्र सिंह रावत इनवेस्टर्स समिट से लाखों जॉब्स का जुमला बाँटते रह गए, वहीं, चार जुलाई से सत्ता संभालते ही युवा सीएम धामी ने रिक्त पड़े 24 हजार सरकारी पद भरने का कमिटमेंट कर चार साल से निराशा का शिकार युवाओं में नई उम्मीद जगाई। जुलाई के बाद से लगातार विभिन्न विभागों में नौकरियों की विज्ञप्तियां भी निकल रही हैं। आज सात साल से पुलिस भर्ती का इंतजार कर रहे युवाओं के लिए 1700 से अधिक पदों पर भर्ती का रास्ता खुल गया है। जाहिर है जिन पदों पर विज्ञप्ति निकल रही उनको धामी सरकार आचार संहिता से पहले ज्वाइनिंग के आखिरी पड़ाव तक नहीं ले जा सकती है लेकिन नौकरियों को लेकर लगातार हमलावर विपक्ष की धार कुंद करने का दांव बखूबी सीएम धामी ने चल दिया है।
धामी ऐसे दौर में सीएम बने जब चार माह से भी कम समय में तीरथ सिंह रावत को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। सत्ता संभालते ही धामी ने सीएस ओमप्रकाश को पैदल कर सूबे की बेलगाम नौकरशाही को कड़ा संदेश दिया और IAS दीपक रावत को ऊर्जा विभाग में लंबे समय तक बिठाकर अपने इरादे जता दिए।
आपदा में ग्राउंड जीरो पर मोर्चा संभाला तो अंतत: देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को निरस्त कर चारों धामों के तीर्थ-पुरोहितों और हक-हकूकधारियों को टीएसआर राज में मिले ज़ख़्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की।
जाहिर है सीएम धामी ने पिछले पांच महीनों में कई मोर्चों पर अटके काम बनाकर संदेश देने की कोशिश की है और इसी का नतीजा है कि राहुल गांधी को साफ संदेश देना पड़ा है कि युवा मुख्यमंत्री पर सीधा हमला बोला जाए।