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पहाड़ पॉलिटिक्स में AAP की एंट्री और UKD के सामने संकट अस्तित्व बचाने का: क्या युवाओं तक पहाड़ के मुद्दे लेकर पहुँच रहा है उत्तराखंड क्रांति दल! विधानसभा घेराव में दिखाया दमखम

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भू-क़ानून जैसे कई असल पहाड़ के प्रश्न यूकेडी के लिए साबित हो सकते हैं संजीवनी!

देहरादून: मानसून सत्र के पहले ही दिन यूकेडी का विधान सभा घेराव। विधानसभा सत्र के पहले दिन आज विभिन्न मुद्दों को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल ने सरकार के खिलाफ हल्लाबोल किया। भीड़ भी ठीकठाक जुटी और उक्रांद में जोश भी दिखाई दिया। लेकिन क्या यह जोश बाइस की बैटल तक कायम रहेगा? क्या भाजपा और कांग्रेस की बारी-बारी भागीदारी से पनपते गुस्से और निराशा को यूकेडी नेता भाँप चुके हैं? या फिर दिल्ली से आकर आम आदमी पार्टी जिस तेजी से पकड़ बना रही उसने यूकेडी नेतृत्व के सामने राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष को मजबूर कर दिया है? सवाल बहुत हैं लेकिन जवाब यूकेडी को ही देना है और चुनावी जंग जैसे-जैसे नज़दीक आती जाएगी मुद्दों और माहौल को लेकर धुँध भी छँटता चला जाएगा। फिलहाल तो यूकेडी नेताओं ने सत्र के पहले दिन ताकत दिखाकर सरेंडर की बजाय संघर्ष का संकेत दे दिया है।

विधानसभा कूच


उक्रांद ने भू-कानून की मांग को लेकर विधानसभा कूच किया, जिस दौरान पुलिस ने उन्हें बेरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने बैरिकेडिंग पर चढ़ उसे पार करने की भी कोशिश की। यूकेडी कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ हल्की धक्का-मुक्की भी हुई, जिसके बाद सभी प्रदर्शनकारी वहीं धरने पर बैठ गए और जमकर नारेबाजी की।

उक्रांद अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने आज के प्रदर्शन से उत्साहित होकर कहा कि यूकेडी की इस भूमिका और मजबूती को देख ऐसा लगता है कि इस बार पार्टी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी क्योंकि इस बार पार्टी के पास कई मुद्दे और दिग्गज नेता भी हैं।
वहीं उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि, इस बार दल ने यह ठाना है, दिल्ली वाले दलों को भगाना है। इस बार उक्रांद आर पार की लड़ाई लड़ेगा।
यूकेडी नेता मोहन काला ने कहा कि जनता समझ चुकी है जो उन्होंने प्रचंड बहुमत आज से साढ़े चार पहले दिया था वो एक भूल थी, साढे चार साल में भाजपा ने उत्तराखंड को तीन मुख्यमंत्री सौंपे है, जो हर मोर्चे पर विफल रहे।

शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि, जनता समझ चुकी है कि आज भी उसके मुद्दे वहीं के वहीं खड़े है। रोजगार के लिए आज भी लोग धरने पर बैठे हैं, उनकी मांगें आज भी अनसुनी हैं। सरकार ने डीएलएड की भर्तियां लागू नहीं की,पुलिस ग्रेड पे लागू नहीं किया, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, परिवहन निगम की भर्तियां लागू नहीं की।
सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि दिल्ली से लेकर उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है, तब भी सरकार सशक्त भू-कानून बनाने के साथ-साथ तमाम मुद्दों पर विफल रही है। इस बार यूकेडी सरकार बनाने में कामयाब होगी और जनता की मांगों और मुद्दों पर उनके साथ है।


आज के इस प्रदर्शन मे यूकेडी नेता एपी जुयाल, संजय बहुगुणा, सुलोचना ईष्टवाल, वीरेंद्र थापा, जयप्रकाश उपाध्याय, दीपक रावत, सुनील ध्यानी, रंजीत गरकोटी, संजय डोभाल, धर्मवीर गुसाईं, बहादुर रावत, किशन सिंह मेहता, सविता श्रीवास्तव, समीर मुंडेपी,अनिरुद्ध काला, पेशकार गौतम, दीप पांडे, किरन रावत, मीनाक्षी घिल्डियाल, सीमा रावत, रेखा मियां, वीरेंद्र रावत, राजेश्वरी रावत सुभाष पुरोहित, जगदंबा बिष्ट, अरविंद बिष्ट, केंद्र पाल सिंह तोपवाल, प्रमोद डोभाल, जीवानंद भट्ट, अशोक तिवारी,सुमन बडोनी, सुमित सिंधवाल, महेश रावत सहित सैकडों यूकेडियन शामिल थे।

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